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एमपी: EC ने 3 IPS अफसरों के खिलाफ FIR के दिए आदेश, सियासत हुई तेज

वर्ष 2019 में हुए लोकसभा के चुनाव से पहले आयकर विभाग ने भोपाल में कई स्थानों पर छापे मारे थे. छापे भोपाल, दिल्ली सहित 52 स्थानों पर पड़े थे. इनमें कमल नाथ के कई करीबी शामिल थे.

Updated on: 18 Dec 2020, 12:36 PM

भोपाल:

मध्यप्रदेश में कमल नाथ सरकार के दौरान आयकर विभाग के छापों में मिले लेन-देन के ब्यौरे और दस्तावेजों के आधार पर केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट के आधार पर चुनाव आयोग द्वारा तीन भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किए जाने के आदेश ने राज्य की सियासत गर्मा दी है. हालांकि चुनाव आयोग के निर्देश अभी तक सरकार को प्राप्त नहीं हुए हैं.

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वर्ष 2019 में हुए लोकसभा के चुनाव से पहले आयकर विभाग ने भोपाल में कई स्थानों पर छापे मारे थे. छापे भोपाल, दिल्ली सहित 52 स्थानों पर पड़े थे. इनमें कमल नाथ के कई करीबी शामिल थे. इन छापों में 93 करोड़ रुपये के लेन-देन के दस्तावेज और चार करोड़ रुपये की बरामदगी हुई थी. इस मामले को लेकर सीबीडीटी की रिपोर्ट के आधार पर चुनाव आयोग ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि इस मामले में तीन आईपीएस अफसरों पर मामला दर्ज किया जाए. वहीं  तत्कालीन कई मंत्रियों और अफसरों पर भी कार्रवाई संभावित है.

इस मामले में चुनाव आयोग द्वारा राज्य सरकार को लिखे गए पत्र के खुलासे के बाद राज्य की सियासत गर्मा गई है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि चुनाव आयोग की तरफ से दिशा-निर्देश नहीं मिले हैं, जैसे ही विवरण और जानकारी मिलेगी, तथ्यों के आधार पर कार्रवाई की जाएगी.

भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा का कहना है कि वे तो पहले ही कह चुके थे कि प्रदेश में कमल नाथ की सरकार के काल में भ्रष्टाचार हुआ है, इसमें उनके कारिंदे भी शामिल रहे हैं. अब यह बात सीबीडीटी की रिपोर्ट के आधार पर चुनाव आयोग द्वारा राज्य के मुख्य सचिव और निर्वाचन पदाधिकारी को लिखे गए पत्र से साफ हो गई है.

पत्र में कहा गया है कि तीन अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज होना चाहिए. इन अधिकारियों पर एफआईआर तो होगी ही, साथ ही तत्कालीन मुख्यमंत्री कमल नाथ और उनके करीबियों पर भी एफआईआर होना चाहिए. शर्मा ने आगे कहा कि कमल नाथ को प्रदेश की जनता से माफी मांगनी चाहिए. साथ ही उन लोगों का निर्वाचन भी शून्य घोषित किया जाना चाहिए, जो इसमें शामिल है.

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प्रदेश मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा ने चुनाव आयोग के निर्देशों की बात सामने आने पर कहा है कि भाजपा सरकार के बहुचर्चित ई-टेंडर जांच से जुड़े अधिकारियों को निशाना बनाने का काम किया जा रहा है. हर चुनाव के पूर्व इस तरह के फर्जी मामले सामने लाए जाते हैं, अब नगरीय निकाय चुनाव को देखते हुए यह झूठा, वर्ष 2019 का मामला सामने लाया जा रहा है.

उन्होंने तंज कसते हुए कहा, "चुनाव आयोग की निष्पक्षता के बारे में सभी जानते हैं!" सलूजा ने आगे कहा कि भाजपा के दबाव में षड्यंत्र व छवि खराब करने का काम किया जा रहा है. झूठे नाम प्रचारित किए जा रहे हैं. उस समय भी कुछ नहीं मिला और आगे भी सब फर्जी साबित होगा. ऐसा ही था तो 2019 में ही कार्रवाई क्यों नहीं की गई? जो आरोप कांग्रेस पर लगाए जा रहे हैं, वो खेल तो भाजपा में ही चल रहा है.