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Dussehra: विजयादशमी के दिन इस गांव में मनाया जाता है शोक, रावण से जुड़ा है मामला

Vijayadashami 2023: मध्य प्रदेश के एक गांव में विजयादशमी के दिन खुशियां नहीं बल्कि शोक माना जाता है और लोग इस दिन रावण की विशेष पूजा करते हैं. इस गांव की नाम भी रावण ही है. इस गांव के लोग रावण को ग्राम देवता मानते हैं.

Vijayadashami 2023: मध्य प्रदेश के एक गांव में विजयादशमी के दिन खुशियां नहीं बल्कि शोक माना जाता है और लोग इस दिन रावण की विशेष पूजा करते हैं. इस गांव की नाम भी रावण ही है. इस गांव के लोग रावण को ग्राम देवता मानते हैं.

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Suhel Khan
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Ravan( Photo Credit : Social Media)

Vijayadashami 2023: देशभर में आज दशहरा की धूम है, जगह-जगह रावण दहन की तैयारियां चल रही हैं, लेकिन मध्य प्रदेश के एक गांव में शोक मनाया जा रहा है. जिसकी वजह दशहरा यानी विजयादशमी की त्योहार ही है. क्योंकि रावण नाम के इस गांव में लोग उन्हें भगवान मानते हैं और उनकी पूजा करते हैं. यही नहीं यहां के लोग अपने घर या फिर गाड़ियों पर अपने नाम के बजाय रावण बाबा लिखवाते हैं और विजयादशमी के दिन शोक मनाते हैं. इसके बाद लोग इस दिन रावण बाबा को मनाने के लिए विशेष पूजा भी करते हैं. इस गांव के लोग दशहरा के दिन रावण की भव्य पूजा-आरती की जाती है.

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कहां ये रावण नाम का ये गांव

दरअसल, मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में रावण नाम का एक गांव है. जहां हर साल दशहरा के दिन लोग शोक मनाते हैं और रावण की पूजा अर्चना करते हैं. इस गांव में विजयादशमी के दिन भव्य पूजा आरती की जाती है जिसमें लोग रावण को मनाते हैं. इस दिन दूर-दूर से लोग रावण की पूजा देखने के लिए पहुंचते हैं. इस गांव के लोग अपने शरीर पर टैटू गुदवाकर जय लंकेश, जय रावण बाबा लिखवाते हैं. यहां के लोग अपने घरों, वाहनों और दुकानों पर भी जय लंकेश, जय रावन लिखवाते हैं.

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रावण गांव में दशहरा के मौके पर रावण की पूजा की जाती है साथ ही विशाल भंडारे का आयोजन किया जाता है. रावण गांव के लोग अपने आप को रावण बाबा का वंशज मानते हैं इसीलिए इस गांव में दशानन की पूजा और सम्मान किया जाता है. गांव के लोगों की रावण के प्रति भक्ति देखकर हर कोई आश्चर्यचकित हो जाता है. इस गांव के स्कूल, ग्राम पंचायत पर भी रावण का नाम लिखा हुआ है. इस गांव में रावण की एक प्रतिमा भी है. जिसकी लोग पूजा करते हैं.

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इस गांव के लोग क्यों करते हैं रावण की पूजा

गांव में स्थित रावण बाबा मंदिर के पुजारी पंडित रमेश तिवाती बताते हैं कि उत्तर दिशा में तीन किमी दूरी पर एक पहाड़ी है. वह बताते हैं कि ऐसी मान्यता है कि इस पहाड़ी पर प्राचीन काल में बुद्ध नाम का एक राक्षस रहता था. जिसे रावण से युद्ध करने की इच्छा थी. लेकिन जब वह युद्ध करने लंका पहुंचता तो लंका की चकाचौंध देखकर काफी प्रभावित हुआ. फिर क्या था उसका क्रोध भी शांत हो गया. इसके बाद एक दिन रावण ने उस राक्षस से पूछा कि तुम दरबार में आते हो और हर बार बिना कुछ बताए क्यों चले जाते हो. तब राक्षस बुद्ध ने रावण से कहा कि, महाराज मैं हर बार आपसे युद्ध की इच्छा लेकर आता हूं लेकिन यहां आपको देखकर मेरा क्रोध शांत हो जाता है.

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ये सुनकर रावण ने कहा कि तुम कहीं मेरी एक प्रतिमा बना लेना और उसी से युद्ध करना. उसके बाद यहां एक प्रतिमा स्थापित की गई. जिसकी आज भी लोग पूजा करते हैं. यहां एक मंदिर भी है. इस गांव के लोगों की आस्था रावण में इस तरह है कि नया वाहन खरीदने पर लोग रावण बाबा का नाम जरूर लिखवाते हैं. उसके बाद रावण बाबा मंदिर में उनकी आरती गायी जाती है. इस गांव के लोग रावण दहन का शोक मनाते हैं. साथ ही रावण को मनाने के लिए विशेष पूजा की जाती है. यहां के लोग रावण बाबा को ग्राम देवता मानते हैं और यहां पहली पूजा रावण बाबा की होती है.

Source : News Nation Bureau

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