देवास जिले के खातेगांव के जामनेर गांव के रहने वाले असलम (9) पिता इब्राहिम की रविवार सुबह मौत हो गई. बच्चे को शनिवार रात शासकीय महाराजा यशवंत राव होलकर हॉस्पिटल में चमकी बुखार के संदेह में बाल गहन चिकित्सा ईकाई में भर्ती करवाया गया था.
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हॉस्पिटल के रिकॉर्ड में बच्चे को लीव अंगेस्ट मेडिकल एडवाइज होना बताया गया है. बच्चे की मौत के बाद से सरकार हरकत में आ गई है. स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट के निर्देश पर प्रशासन की एक टीम को देवास के जामनेर गांव भेजा गया है.
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शिशु रोग प्रभारी विभागाध्यक्ष डॉ. प्रीति मालपानी (Preeti Malpani) का कहना है कि बच्चे की हालत क्रिटिकल थी. लेकिन बच्चे को लेकर आए परिजन यह कहकर बच्चे को ले गए कि उसके पिता की तबीयत सही नहीं है. यहां लाने से पहले परिजन बच्चे को किसी अन्य हॉस्पिटल में ले गए थे.
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जहां बच्चे को चमकी बुखार होना बताया गया था. बच्चे में चमकी बुखार होने की पुष्टि के लिए ब्लड सैंपल पुणे की वायरोलॉजी लैब भेजा गया. डॉ. मालपानी का कहना है कि यह चमकी बुखार जैसा नहीं है. बच्चे में एक्यूट एनसिफेलाइटिस सिंड्रोम (Acute Encephalitis Syndrome) की पहचान की गई है.
बुखार दिमाग पर चढ़ गया था. जब उसे अस्पताल लाया गया तब वह बेसुध हो चुका था. डॉक्टरों ने उन्हें कहा था कि वह बच्चे को न ले जाएं. इस मामले में सुप्रिटेंडेंट पीएस ठाकुर का कहना है कि बच्चा बीमार था. उसकी मौत चमकी बुखआर से नहीं हुई है. चमकी बुखार को लेकर अफवाह फैलाई जा रही है. लेकिन उन पर भरोसा न कीजिए. अगर बच्चे बीमार हों तो बिना समय गंवाए उन्हें अस्पताल ले जाएं.
असलम के मामा हलीम शाह ने इस मामले में कहा कि बीमार बच्चे को घर ले जाने के लिए डॉक्टरों ने कहा था. ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टरों ने सुबह 5 बजे बताया कि बच्चे को अब घर ले जाइए. जिसके बाद हम बच्चे को वापस ले आए. वहीं पिता ने कहा कि अपने बच्चे के बारे में जानकर वह मानसिक रूप से स्वस्थय नहीं हैं.
HIGHLIGHTS
- डॉक्टरों के मुताबिक परिजन अपने मन से बच्चे को ले गए
- परिजनों का कहना है कि डॉक्टरों ने बच्चे को ले जाने को कहा
- डॉक्टरों ने अफवाह से बचने को कहा