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MP में तेजी से फैल रहा है साइबर ठगों का नेटवर्क, ऐसे दे रहे हैं ठगी को अंजाम

मध्यप्रदेश में लगातार साइबर क्राइम के मामले बढ़ते जा रहे हैं. साइबर ठग भोले - भाले लोगों को अपना निशाना बनाकर उनसे मोटी रकम ऐंठ रहे हैं. हालांकि साइबर पुलिस लगातार ऐसे ठगों के खिलाफ कार्रवाई कर इन्हें गिरफ्तार कर रही है.

Updated on: 16 Jun 2022, 11:25 AM

highlights

  • साइबर ठग भाले-भाले लोगों को बनाते हैं कि ठगी का निशाना
  • मध्य प्रदेश पुलिस के लिए बड़ी चुनौती बने साइबर ठग 
  • साइबर पुलिस ने एडवाइजरी जारी कर लोगों को किया सतर्क

Bhopal:

मध्यप्रदेश में लगातार साइबर क्राइम के मामले बढ़ते जा रहे हैं. साइबर ठग भोले - भाले लोगों को अपना निशाना बनाकर उनसे मोटी रकम ऐंठ रहे हैं. हालांकि साइबर पुलिस लगातार ऐसे ठगों के खिलाफ कार्रवाई कर इन्हें गिरफ्तार कर रही है. लेकिन, जिस प्रकार से मध्यप्रदेश में साइबर ठगों का नेटवर्क बढ़ रहा है, वह कहीं न कहीं मध्य प्रदेश पुलिस के लिए एक चुनौती बन रहा है. ठगी जो ताजा मामला सामने आया है, उसे सुनकर आप भी चौंक जाएंगे. ठगों ने कोरोना महामारी बीमारी में जान गंवाने वाले लोगों के परिवारों को अपना शिकार बनाना शुरू कर दिया है. ऐसा ही एक नया मामला सामने आया है, जहां आवेदनकर्ता सुनील कुमार लोधी की शिकायत पर साइबर पुलिस ने कार्रवाई कर ठगों को गिरफ्तार किया है. आरोप है कि इन ठगों ने 98,810 रुपए की राशि कोविड में जान गंवाने वाले राजेश लोधी के नाम पर परिवार से गबन कर ली.

तरीका ए वारदात
पुलिस की मानें तो आरोपी कोविड-19 अनुदान राशि प्रदान करने के नाम पर ऐसे लोगों को कॉल करते थे, जिनके यहां कोरोना के समय परिवार के किसी सदस्य की जान चली गई हो. ये ठग उनसे कोविड अनुदान दिलाने के नाम पर डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन, जीएसटी चार्ज, अकाउंट ओपन करने और इनकम टैक्स के नाम पर क्यूआर कोड भेज कर अपने खाते में विभिन्न किस्तों में पैसा डलवा लेते है. फिर उन पैसों को अन्य खातों में ट्रांसफर कर निकाल लेते थे. आरोपी फ्रॉड करने के लिए दूसरे राज्यों के बैंक खाते और सिम कार्ड का उपयोग करते थे.

आठवीं और दसवीं तक पढ़े हैं साइबर ठग
बड़े-बड़े डिग्री धारियों को चूना लगाने वाले यह साइबर फ्रॉड सिर्फ आठवीं से दसवीं तक ही पढ़े लिखे हैं. पहला आरोपी जो लोगों को कॉलिंग करता था, जिसका नाम राजेंद्र उर्फ घरेन्द्र यादव है, वह मध्य प्रदेश के निवाड़ी जिले के अस्तारी का निवासी है. उसने महज दसवीं तक पढ़ाई कर रखी है. दूसरा आरोपी हुकुम यादव भी मध्य प्रदेश के निवाड़ी जिले के ग्राम अस्तारी का ही रहने वाला है और उसकी शिक्षा भी दसवीं पास ही है. वहीं, तीसरा आरोपी भरतपुर कलूटी यादव भी निवाड़ी जिले के अस्तारी गांव का ही है, और यह खाताधारक बनता था. भरत भी महज आठवीं कक्षा तक पढ़ा है. पकड़े गए सभी आरोपी मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की बॉर्डर इलाके के हैं. 

ऐसे गिरफ्त में आए आरोपी
जिला भोपाल की साइबर क्राइम टीम ने एफआईआर दर्ज होने के बाद टेक्निकल एनालिसिस के आधार पर कार्रवाई की. फोन नंबर और टावर लोकेशन की जांच में पता चला की कॉलिंग निवाड़ी जिले से की जा रही है, जिसके बाद टीम ने निवाड़ी जिले पहुंचकर अपनी कार्रवाई शुरू की. टावर लोकेशन के आधार पर यह ग्राम अस्तारी पहुंचे, गांव पहुंचने के बाद जब टीम खेतों में पहुंची तो पता चला कि खेतों में झोपड़ी बनाकर इस खेल को अंजाम दे रहे थे.  वहां से इन सभी ठगों को गिरफ्तार कर लिया गया. इन साइबर ठगों के पास से 3 एंड्राइड फोन, एक कीपैड मोबाइल फोन, 5 सिम कार्ड अलग-अलग कंपनियों के और कई दस्तावेज भी जब्त किए गए हैं.

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साइबर पुलिस ने जारी की एडवाइजरी
साइबर पुलिस ने एडवाइजरी जारी कर लोगों से कहा है कि वर्तमान में साइबर ठगों की ओर से कोविड अनुदान राशि देने के नाम पर फोन किया जाता है, फिर डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन, जीएसटी चार्ज, अकाउंट ओपन करने, इनकम टैक्स आदि के नाम पर क्यू.आर.कोड भेजकर विभिन्न किस्तों में राशि फर्जी खाते में ट्रांसफर करा लेते है और पीड़ित को किसी प्रकार का कोई कोविड अनुदान राशि उपलब्ध नहीं कराते. किसी भी नम्बर से कोविड अनुदान राशि दिलाने वालों पर विश्वास न करें एवं विश्वसनीयता की जांच करने के उपरांत ही अपनी जानकारी शेयर करें .

इन बातों का हमेशा ध्यान रखें-
1.        ऑनलाईन साईट पर कोविड अनुदान राशि रजिस्ट्रेशन करने से पहले उन साइटों के बारे में अच्छे से जानकारी प्राप्त करें .
2.        कोविड अनुदान राशि के लिए आए कॉल की सत्यता की जानकारी प्राप्त कर ले .
3.        अज्ञात मोबाइल नम्बर से अनुदान राशि के नाम पर आने वाले फर्जी कॉलो से सावधान रहे .
4.        किसी भी अंजान खातों में ऑनलाइन पैसे ट्रांसफर न करें .  
5.        किसी भी अनजान क्यूआर कोड को स्कैन ना करें 

नोटः- साइबर काइम संबंधित घटना घटित होने की सूचना भोपाल साइबर क्राइम के हेल्पलाइन नम्बर 9479990636 अथवा राष्ट्रीय हेल्पलाइन नंबर 1930 पर दे .