बारिश-ओलावृष्टि पर किसानों को राहत मिलेगी : शिवराज
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि जिलों में कहीं-कहीं फसलें आड़ी हो गई हैं. क्षति का आकलन किया जा रहा है. संबंधित अधिकारी फील्ड में हैं और सर्वे कार्य कर रहे हैं. किसानों को जैसा नुकसान हुआ है, उन्हें आवश्यक राहत प्रदान की जाएगी.
highlights
- बारिश और ओलावृष्टि ने फसलों को काफी नुकसान पहुंचाया है.
- किसानों को हुए नुकसान की जानकारी लेकर प्रतिदिन समीक्षा की जाएगी.
- सीएम ने फसलों के नुकसान का आकलन करने के निर्देश दिया.
भोपाल:
मध्य प्रदेश में तेज हवाओं के साथ हुई बारिश और ओलावृष्टि ने फसलों को काफी नुकसान पहुंचाया है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने फसलों के नुकसान का आकलन करने के निर्देश देते हुए भरेासा दिलाया है कि किसानों को राहत दी जाएगी. मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि उन्होंने प्रदेश के कुछ स्थानों पर बेमौसम बारिश और कहीं-कहीं हुई ओलवृष्टि से फसलों को पहुंची क्षति की जानकारी प्राप्त की है और संबंधित जिलों के कलेक्टर्स के साथ ही राजस्व और कृषि विभाग के अधिकारियों से भी चर्चा की है.
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि जिलों में कहीं-कहीं फसलें आड़ी हो गई हैं. क्षति का आकलन किया जा रहा है. संबंधित अधिकारी फील्ड में हैं और सर्वे कार्य कर रहे हैं. किसानों को जैसा नुकसान हुआ है, उन्हें आवश्यक राहत प्रदान की जाएगी.
मुख्यमंत्री चौहान ने बताया कि किसानों को हुए नुकसान की जानकारी लेकर प्रतिदिन समीक्षा की जाएगी. संकट के समय राज्य सरकार किसान भाईयों के साथ है. किसानों को राहत देने में विलंब भी नहीं होगा. ज्ञात हो कि राज्य के कई हिस्सों में शुक्रवार की शाम और रात को तेज हवाओं के साथ बारिश हुई और ओले भी पड़े. इससे फसलों को नुकसान हुआ है.
बता दें कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात के बाद कहा कि राज्य में बम्पर फसल हुई है. खरीफ की फसल के लिए केंद्र सरकार ने 12.50 लाख मैट्रिक टन यूरिया आवंटित किया है. कृषि मंत्री से इसे बढ़ाकर 15 लाख मैट्रिक टन करने की मांग की है. उन्होंने कहा कि DAP की भी जरूरत है, 11 लाख मेट्रिक टन स्वीकृत केंद्र ने कर दिया है. चन, मसूर, सरसों की फसल भी बम्पर हुई है. चने का 58 लाख 6 हजार मैट्रिक टन के आसपास होने उम्मीद है.
मसूर 5 लाख 48 हजार मैट्रिक टन, सरसो 15 लाख 60 हजार मैट्रोक टन होने की उम्मीद है. इसमें 25 फीसदी उपार्जन की स्वीकृति केंद्र सरकार से मांगी है. राज्य में गेंहू की फसल भी बम्पर हो रही है. इस वजह से नरवाई की घटनाएं भी होती है. इससे पर्यावरण बिगड़ता है. अब नरवाई को जलाने की जरूरत नहीं पड़ती है, मशीनों उसे काटकर भूसा बनाया जाता है.
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