एमपी: जलवायु परिवर्तन को स्कूली पाठयक्रम में किया जा सकता है शामिल
राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य ब्रजेश चौहान ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण कृषि बहुत अधिक प्रभावित होती है. जल स्रोत सूख रहे हैं और पानी की कमी हर जगह देखी जा रही है.
भोपाल:
दुनिया के हर हिस्से में जलवायु परिवर्तन एक बड़ी समस्या बन रही है. मध्य प्रदेश में जलवायु परिवर्तन के मसले पर बच्चों से समाज के जागरुक लोगों ने संवाद किया तो एक बात सामने निकलकर आई कि स्कूली पाठ्यक्रम में जलवायु परिवर्तन विषय को भी शामिल किया जाना चाहिए. सोशल मीडिया के प्लेटफार्म पर यूनिसेफ और नाइन इज माईन (प्रत्येक) के साथ मिल कर मध्य प्रदेश के गैर सरकारी संगठनों ने राज्य में जलवायु परिवर्तन पर अनुशंसाओं के लिए राज्य बाल संसद का आयोजन किया.
और पढ़ें: यूपी के बाद एमपी में भी 'लव जिहाद' के खिलाफ बनेगा कानून
राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य ब्रजेश चौहान ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण कृषि बहुत अधिक प्रभावित होती है. जल स्रोत सूख रहे हैं और पानी की कमी हर जगह देखी जा रही है. ऐसे समय में जलवायु परिवर्तन पर बच्चों का बात करना महत्वपूर्ण है. हम बड़े लोगों को उनकी बात सुननी चाहिए.
उन्होंने आगे कहा कि बच्चों को अपने विचार और सिफारिशें साझा करते हुए देख कर उन्हें बहुत संतोष हुआ है. यह सुखद है कि यूनिसेफ और नाइन इज माईन ने बच्चों को जलवायु परिवर्तन पर अपनी बात रखने में सक्षम बनाया है और उन्हें अभिव्यक्ति साझा करने का अवसर दिया है.
बाल संसद में बच्चों ने जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों से निपटने के लिए मांगों का चार्टर तैयार किया है. इस क्रम में बच्चों ने जानकारों के साथ संवाद में जलवायु परिवर्तन पर मांगों के चार्टर को प्रस्तुत किया.
इस संवाद में चाइल्ड राइट ऑब्जर्वेटरी की अध्यक्ष निर्मला बुच ने कहा कि आज हम जलवायु परिवर्तन पर मांगों के चार्टर को साझा करते हुए बच्चों की बात सुन रहे हैं. हम इसको गंभीरता से लें क्योंकि बच्चों की आवाज को सुनने और नीति निमार्ताओं तक उनकी बात पहुंचाने की जिम्मेदारी हमारी है.
भाजपा नेता पंकज चतुवेर्दी ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से संबंधित मांगों के चार्टर को बच्चों ने अच्छे से बनाया है और प्रस्तुत किया है. हमें स्कूली पाठ्यक्रम में जलवायु परिवर्तन को एक विषय के रूप में शामिल करना चाहिए. बहुत कम उम्र से बच्चों को पर्यावण संरक्षण के बारे में पढ़ाना शुरू करना चाहिए.
ये भी पढ़ें: लंबे समय से काबिज पात्र आदिवासियों को जमीन के पट्टे मिलेंगे
प्रत्येक के निदेशक स्टीव रोचा ने कहा कि बच्चे भविष्य नहीं हैं, वे वर्तमान हैं. उनकी आवाज सुनी जानी चाहिए ताकि उनके लिए बेहतर भविष्य बनाया जा सके. पृथ्वी के अधिकार के बिना बाल अधिकारों का कोई अर्थ नहीं है. अगर कोई आपदा आती है, तो वह सभी रूपों में बच्चों को प्रभावित करता है और उनके अधिकारों का उल्लंघन होता है.
कोंडरिया की सरपंच अनुराधा जोशी कोंडरिया ने कहा कि हम ग्रामीण स्तर पर लोगों से अनुरोध करते हैं कि वे अधिक से अधिक पेड़ लगाएं, प्लास्टिक उपयोग न करें, जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए वर्षा जल संचयन के लिए कुछ कदम उठाए. इसी तरह, सभी स्तरों पर और व्यक्तिगत स्तर पर जलवायु परिवर्तन के खिलाफ संभव कदम उठाए जाने चाहिए.
यूनिसेफ मध्य प्रदेश के संचार विषेषज्ञ अनिल गुलाटी ने कहा कि निर्णय लेने के स्तर पर बच्चों की आवाज को पहुंचाने के लिए हम सब को सक्रिय होना चाहिए.
बाल प्रतिनिधि श्रेयांश, अनन्या और पूनम ने कहा कि भविष्य में आपदाओं को रोकने के लिए, हमें अब कार्रवाई करनी चाहिए. इसके पहले कि बहुत देर हो जाए हमें जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने की दिशा में छोटे कदम उठाने शुरू कर देने चाहिए.
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
-
टीवी एक्ट्रेस दिव्यांका त्रिपाठी का हुआ एक्सीडेंट, होगी सीरीयस सर्जरी, काम छोड़कर हॉस्पिटल पहुंचे पति
-
Maidan BO Collection: मैदान ने बॉक्स ऑफिस पर पूरा किया एक हफ्ता, बजट की आधी कमाई भी नहीं कमा पाई फिल्म
-
Happy Birthday Arshad Warsi: मुन्ना भाई के सर्किट का जन्मदिन आज, पैप्स के साथ काटा बर्थडे केक, वीडियो हुई वायरल
धर्म-कर्म
-
Hanuman Jayanti 2024 Date: हनुमान जयंती पर बनेगा गजलक्ष्मी राजयोग, जानें किन राशियो की होगी आर्थिक उन्नति
-
भारत के इस मंदिर में नहीं मिलती पुरुषों को एंट्री, यहां होते हैं कई तांत्रिक अनुष्ठान
-
Mars Transit in Pisces: 23 अप्रैल 2024 को होगा मीन राशि में मंगल का गोचर, जानें देश और दुनिया पर इसका प्रभाव
-
Kamada Ekadashi 2024: कामदा एकादशी से पहले जरूर करें 10 बार स्नान, सफलता मिलने में नहीं लगेगा समय