मध्य प्रदेश की राजधानी में एक बेहद ही चौंकाने वाला मामला सामने आया है. अस्पताल की लापरवाही से एक क्रिश्चियन व्यक्ति का शव हिन्दू परिवार को दे दिया गया जिसका परिवार ने अंतिम संस्कार भी कर दिया, लेकिन क्रिश्चियन परिवार के अस्पताल पहुंचने पर अस्पताल की लापरवाही की पोल खुली. जिसके बाद पुलिस थाने में देर रात तक गहमागहमी रही और मर चुके व्यक्ति की अस्थियां अपने सही वारिस के हाथ मे जाने के इंतज़ार में थाने में ही पड़ी रही.
भोपाल मेमोरियल अस्पताल की लापरवाही का पता उस वक्त चला जब दूसरे मृतक के परिजन अस्पताल पहुंचे . पुलिस के मुताबिक 27 अक्टूबर को भोपाल के गोविंद गार्डन निवासी कुंजुमन की हार्ट अटैक से मौत हो गयी थी, जिनके शव को अस्पताल के मुर्दाघर में रखा गया था. उसी दिन खुशीलाल नाम के और शख्स का शव अस्पताल के मुर्दाघर लाया गया. कुंजुमन के परिजन शव का अंतिम संस्कार 30 अक्टूबर को करना चाहते थे क्योंकि उनके रिश्तेदार केरल में रहते हैं, जिनके आने पर ही आखिरी रस्में होती.
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इस दौरान खुशीलाल के बेटे अस्पताल पहुंचे और शव लेकर अपने घर चले गए. उन्होंने शव का हिन्दू रीति रिवाज के मुताबिक अंतिम संस्कार भी कर दिया. यहां तक सब ठीक लग रहा है लेकिन कहानी में मोड़ तब आया जब कुंजुमन के परिवार वाले सोमवार को शव लेने अस्पताल पहुंचे. अस्पताल पहुंचने पर उन्होंने देखा कि मुर्दाघर में रखी लाश कुंजुमन की नहीं बल्कि किसी और की है.
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इसके बाद जब अस्पताल में पूछताछ की तो पता चला कि एक हिन्दू परिवार कुंजुमन का शव ले गया है जो कि बागमुगालिया में रहते हैं. इसके बाद कुंजुमन के परिजन जब बागमुगालिया पहुंचे तो पाया कि कुंजुमन के शव का हिन्दू रीति रिवाजों के तहत अंतिम संस्कार कर दिया गया. इसके बाद मामला थाने पहुंच गया और पुलिस ने कुंजुमन के शव को अपने पिता का शव समझ कर अंतिम संस्कार कर चुके बेटों को कुंजुमन की अस्थियों के साथ थाने बुलवा लिया.
शव को क्यों नहीं पहचान पाए
निशातपुरा थाने में खुशीलाल के बेटे प्रेम नारायण और उनके भाई की मानें तो गलती अस्पताल की है जिसने खुशीलाल की जगह कुंजुमन का शव सौंप दिया. हालांकि सवाल इसलिए खड़े हो रहे हैं कि हिन्दू मान्यताओं के मुताबिक शव को अंतिम संस्कार से पहले कई रस्मों को पूरा किया जाता है जिसमें शव का चेहरा कई बार सामने पड़ता है ऐसे में बेटे अपने पिता के शव को क्यों नहीं पहचान पाए.
उलझन में कुंजुमन का परिवार
कुंजुमन के भाई के मुताबिक उनके धर्म मे अस्थियों को नहीं बल्कि पूरे शव को दफनाया जाता है. ऐसे में परिवार ये तय नहीं कर पा रहा है कि अस्थियों को साथ ले जाए या थाने छोड़ जाएं. बहरहाल इस पूरे मामले में इंसान की लापरवाही तो साफ दिख रही है लेकिन दुख की बात ये है की इंसानी भूल का खामियाजा मरने वाला चुका रहा है और उसकी अस्थियां अपने सही वारिस के हाथों में जाने का इंतज़ार कर रही है.
Source : News Nation Bureau