एमपी में कोरोना से अनाथ हुए बच्चों के लिए बाल सेवा योजना
इस योजना की शुरुआत करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 130 परिवारों के अनाथ हुए 173 बच्चों के खातों में प्रति बच्चे के मान से पांच हजार रुपये की राशि एक क्लिक से अंतरित की गई.
भोपाल:
मध्य प्रदेश में कोरोना संक्रमण के चलते अनाथ हुए बच्चों के लिए कोविड-19 बाल सेवा योजना की शुरुआत की गई. इस योजना की शुरुआत करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 130 परिवारों के अनाथ हुए 173 बच्चों के खातों में प्रति बच्चे के मान से पांच हजार रुपये की राशि एक क्लिक से अंतरित की गई. अनाथ हुए बच्चों के खातों में राशि टांसफर करते हुए मुख्यमंत्री चौहान ने कहा है कि हम कोविड के महासंकट में अनाथ हुए बच्चों को यह अहसास नहीं होने देंगे कि उनके मां-बाप नहीं हैं. हम हर बच्चे की उंगली थामेंगे. कोरोना की विपदा के कारण अनाथ हुए सभी बच्चों की पढ़ाई लिखाई, भोजन और आर्थिक सुरक्षा का ध्यान रखा जाएगा. बच्चे मेहनत करें, अपने माता-पिता के सपनों को साकार करें. मैं आपका मामा और कल्याणकारी राज्य सरकार हर कदम पर आपके साथ है.
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उल्लेखनीय है कि कोरोना के कारण जिन बच्चों के सिर से माता-पिता का साया उठ गया है, उन्हें तत्काल सहायता उपलब्ध कराने और उनके गरिमापूर्ण जीवन निर्वाह के लिए मुख्यमंत्री कोविड-19 बाल सेवा योजना आरंभ की गई है. 21 मई, 2021 से आरंभ इस योजना में बच्चों को पांच हजार रुपये प्रतिमाह की आर्थिक सहायता, निशुल्क राशन और बच्चों की शिक्षा की व्यवस्था की जाएगी.
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मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि प्रदेश एक भयानक त्रासदी से गुजरा है. ऐसी महामारी सैकड़ों सालों में एक बार आती है. कोरोना की पहली लहर का प्रकोप कम था, परंतु दूसरी लहर में संक्रमितों की संख्या अप्रत्याशित रूप से तेजी से बढ़ी और वायरस की अधिक घातकता के कारण कई लोग हमारा साथ छोड़ गए.
अनलॉक की तैयारी, दो तरह की गाईडलाइन तय
मध्य प्रदेश में कोरोना संक्रमण की धीमी पड़ती रफ्तार के बीच आम जिंदगी को पटरी पर लाने की कवायद तेज हो चली है। आगामी एक जून से बाजार खोलने की तैयारी है। इसके लिए सरकार ने खास रणनीति तो बनाई ही है, साथ ही गाईड लाइन भी तय कर दी है। राज्य के 52 जिलों में से सिर्फ चार जिले इंदौर, भोपाल, सागर व मुरैना ही ऐसे है जहां पॉजिटिविटी दर पांच प्रतिशत से ज्यादा है। बाकी 48 जिलों में संक्रमण की दर पांच प्रतिशत से नीचे चली गई है। संक्रमण के लिहाज से इन जिलों केा दो श्रेणी में बांटा गया है, एक वे जिले जहां पांच प्रतिशत से ज्यादा संक्रमण है, दूसरे पांच प्रतिशत से कम संक्रमण वाले जिले। दोनों के लिए अलग-अलग गाईडलाइन तय की गई है।
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