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कमलनाथ (फाइल फोटो)
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कमलनाथ (फाइल फोटो)
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ को फिर एक बड़ा झटका लगा है. मध्य प्रदेश में राजनीतिक हलचल से कांग्रेस की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रहा है. पिछले दिन अटकलें लगाई जा रही थी कि मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है. लेकिन बाद में इस खबर को खंडन कर दिया गया. वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया को मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाने की अटकलें लगाई जा रही है. इसी बीच कमलनाथ सरकार को विधानसभा में बहुमत साबित करने की भी चुनौती मिली है.
IMT गाजियाबाद पर गिरी गाज
इसबार गाजियाबाद डेवलपमेंट अथॉरिटी (GDA) ने कमलनाथ को बड़ा झटका दिया है. कमलनाथ परिवार के बिजनेस स्कूल IMT गाजियाबाद पर गाज गिरी है. IMT को मिली 10,841 गज जमीन का आवंटन GDA ने रद्द कर दिया है. गाजियाबाद नगर निगम में बीजेपी (BJP) के पार्षद राजेंद्र त्यागी ने शिकायत की थी. उसकी शिकायत पर कार्रवाई की गई है. मुख्यमंत्री कमलनाथ के छोटे बेटे स्कूल के गवर्निंग काउंसिल के प्रेसिडेंट हैं. बीजेपी पार्षद और इस मामले में शिकायतकर्ता राजेन्द्र त्यागी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और उत्तर प्रदेश के राज्यपाल से शिकायत की थी.
आईएमटी की नहीं है जमीन
उसका कहना है कि जिस जमीन पर आईएमटी गाजियाबाद बना हुआ है, वह आईएमटी की नहीं है. वो किसी और की है. आईएमटी ने आवंटित भूमि 54049 गज से ज्यादा जमीन पर कब्जा किया हुआ है जो लगभग 10,841 वर्ग गज है. मेरी शिकायत पर गाजियाबाद विकास प्राधिकरण ने आवंटन रद्द कर दिया है. उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर सीबीआई जांच कराने के लिए निर्देश दिए हैं. राज्यपाल राम नाईक के निर्देशों का संज्ञान लेते हुए चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी मेरठ ने 4 सदस्य जांच समिति का गठन किया है जो यह जांच करेगी कि जिस जमीन पर लाजपत राय डिग्री कॉलेज साहिबाबाद बनना था उस जमीन पर आईएमटी का कब्जा क्यों है.
जमीन के पेमेंट को लेकर है विवाद
वहीं आईएमटी गाजियाबाद का कहना है कि उसके साथ नाइंसाफी की जा रही है. जमीन के पेमेंट को लेकर एक विवाद है शायद उस जमीन का भुगतान आईएमटी गाजियाबाद नहीं कर पाया और गाजियाबाद विकास प्राधिकरण को लीज डीड और भुगतान की रसीद नहीं दिखा पाया जिसके बाद ये गलत फैसला लिया गया है. आईएमटी गाजियाबाद का कहना है कि वो अब कोर्ट जाएंगे. IMT गाजियाबाद के डायरेक्टर ए के भट्टाचार्य ने कहा, 'जमीन आवंटन रद्द होना गलत है. जमीन के पेमेंट को लेकर विवाद है, हम लीज डीड जीडीए को नहीं दिखा पाए. इस बारे में आखिरी बार बात 1994 में हुई थी. उस समय जीडीए ने हमको कहा था कि 15 दिन के अंदर अगर पैसा नहीं दिया जाएगा तो अलॉटमेंट रद्द कर दिया जाएगा. जबकि आवंटन 20 साल तक रद्द नहीं हुआ.
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Source : News Nation Bureau