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(source : IANS)( Photo Credit : (source : IANS))
मध्य प्रदेश के भोपाल में बुधवार देर रात एक टैंक से क्लोरीन गैस के रिसाव के बाद कई लोगों ने आंखों में जलन और सांस लेने में तकलीफ की शिकायत की. मामला सामने आने के बाद प्रशासन हरकत में आया और मेडिकल टीम मौके पर पहुंची. आधिकारिक जानकारी के अनुसार, कम से कम चार-पांच लोगों को हमीदिया अस्पताल में भर्ती कराया गया है. घटना भोपाल के ईदगाह इलाके में स्थित मदर इंडिया कॉलोनी की है. हालात का जायजा लेने मौके पर पहुंचे जिला कलेक्टर अविनाश लावानिया ने बताया कि टैंक से क्लोरीन गैस निकलने से लोग घबरा गए और वे अपने घरों से बाहर निकल आए.
ईदगाह हिल्स स्थित मदर इंडिया कॉलोनी में क्लोरीन के टैंक में रिसाव से आंशिक रूप से प्रभावितों के इलाज की समुचित व्यवस्था हेतु हमीदिया अस्पताल प्रबंधकों को निर्देशित किया है।
प्रभावितों के पूर्णत: स्वस्थ होने तक श्रेष्ठतम इलाज की सुविधाएं उपलब्ध कराने में हम कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। pic.twitter.com/uQpX9qhah4
— Vishvas Kailash Sarang (@VishvasSarang) October 26, 2022
उन्होंने कहा, पानी में क्लोरीन अधिक होने के कारण समस्या हुई, हालांकि स्थिति को नियंत्रण में लाया गया. नगर निगम के अधिकारियों ने पानी में क्लोरीन के स्तर को कम करना शुरू कर दिया है. टैंक से पानी ओवरफ्लो हो गया और इससे लोगों को खुजली और सांस लेने में समस्या महसूस हुई. चार-पांच लोगों को हमीदिया अस्पताल में भर्ती कराया गया है. चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने भी घटनास्थल का दौरा किया और बाद में उन्होंने अस्पताल में भर्ती लोगों से भी मुलाकात की.
सारंग ने हमीदिया अस्पताल में प्रेस से बात करते हुए कहा, स्थिति अब नियंत्रण में है और लोगों को घबराना नहीं चाहिए. किसी भी व्यक्ति की आंखों में जलन या सांस लेने में समस्या के बारे में शिकायत करने के लिए मेडिकल टीमों को तैनात किया गया है. हम इस स्तर पर और कुछ भी कहने में असमर्थ हैं. यह समस्या कैसे हुई यह जानने के लिए मामले की जांच की जाएगी.
इस घटना ने जनता में दहशत पैदा कर दी, क्योंकि राज्य की राजधानी के लोगों ने 1984 में भी यही स्थिति देखी थी, जब हानिकारक गैस के रिसाव ने कई लोगों की जान ले ली थी और हजारों लोग कई बीमारियों से बचे हुए थे. 1984 में 2-3 दिसंबर की दरम्यानी रात को भोपाल में एक यूनियन कार्बाइड कारखाने से गैस छोड़ी गई थी. इस घटना को दुनिया की सबसे बड़ी रासायनिक आपदा के रूप में जाना जाता है.
Source : IANS