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मध्य प्रदेश में सड़क हादसों को रोकना बना चुनौती, पिछले 6 महीने में 6567 लोग गवां चुके हैं जान

बीते साढ़े छह माह में राज्य में सड़क हादसों में साढ़े छह हजार से ज्यादा लोग काल के गाल में समा गए हैं.

Updated on: 11 Jul 2019, 03:59 PM

नई दिल्ली:

मध्य प्रदेश में सड़क हादसों में होने वाली मौतें पर अंकुश लगाना पुलिस और सड़क सुरक्षा विभाग के लिए चुनौती बन गया है. बीते साढ़े छह माह में राज्य में सड़क हादसों में साढ़े छह हजार से ज्यादा लोग काल के गाल में समा गए हैं. इन हादसों को रोकने के लिए पुलिस और सड़क सुरक्षा विभाग सड़कों पर स्पीड रडार लगाने की योजना बना रही है. आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि राज्य में एक दिसंबर, 2018 से 12 जून, 2019 तक हुए सड़क हादसों में 6567 लोगों की जान गई है. सबसे ज्यादा मौतें धार जिले में हुई, जहां इस अवधि में 326 मौते हुई हैं. इस तरह राज्य में हर माह एक हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई है. 

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राज्य के गृहमंत्री बाला बच्चन भी हादसों में साढ़े छह हजार से ज्यादा लोगों की मौत की बात स्वीकारते हुए कहते हैं कि राज्य में हादसों की बढ़ती संख्या की वजह जनसंख्या और वाहनों की संख्या में बढ़ोतरी होना है. बाला बच्चन का कहना है कि राज्य सरकार द्वारा आधुनिक तकनीक इंटीग्रेटिड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (आईटीएमएस) और डायल 100 का उपयोग कर सड़क हादसों की रोकथाम के लिए प्रयास किए जा रहे हैं.

राज्य सड़क सुरक्षा परिषद के सदस्य सचिव और विशेष पुलिस महानिदेशक पुरुषोत्तम शर्मा ने कहा कि सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए सड़कों पर स्पीड रडार लगाए जाएंगे. इतना ही नहीं, ड्रिंक एंड ड्राइव से होने वाली दुर्घटनाओं पर नियंत्रण के लिए 1500 अल्कोहल मीटर खरीदे जा रहे हैं. ये सभी थानों में एक-डेढ़ माह के अंदर उपलब्ध करा दिए जाएंगे. इसमें फूंकने मात्र से वाहन चालक की फोटो सहित ड्रिंक की स्थिति भी तुरंत रिकार्ड होगी.

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पुलिस और सड़क सुरक्षा विभाग के नोडल अधिकारियों के बीच शर्मा ने कहा कि प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं में 10 प्रतिशत कमी लाने के प्रयास किए जाएं, इसके लिए टी और एक्स जंक्शन सहित अंधे मोड़ पर दोनों तरफ कैमरों सहित स्पीड रडार लगाए जाएंगे. ऐसे स्थानों पर गति नियंत्रण के लिए वाहन चालकों को साइन-बोर्ड के जरिये भी जागरूक किया जाएगा. दुर्घटना की दशा में तकनीकी संदेश के माध्यम से डॉयल-100 को सूचना उपलब्ध होगी और तुरंत एम्बुलेंस को सूचित किया जाएगा ताकि, पीड़ित को प्राथमिक चिकित्सा देकर सुविधाजनक नजदीकी अस्पताल में पहुंचाया जाएगा.

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सड़क हादसों को रोकने की भी कवायद तेज हो गई है. सड़क हादसों का एक बड़ा कारण अतिक्रमण भी माना जाता है, इसलिए सभी थाना प्रभारियों को अतिक्रमण हटाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. इतना ही नहीं, कम आयु और गैर लाइसेंसधारी वाहन चालकों पर कार्रवाई भी थाना प्रभारियों द्वारा की जाएगी. इसके अलावा स्कूल शिक्षा विभाग को बिना हेलमेट वाहन चलाने वाले छात्र-छात्राओं को कठोरता से सड़क सुरक्षा नियमों का पालन कराने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. 

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