शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में 8,017 करोड़ रुपये की गड़बड़ी : CAG रिपोर्ट

मध्य प्रदेश विधानसभा के पटल पर रखी गई मध्य प्रदेश नियंत्रक एवं महालेखाकार (सीएजी) की रिपोर्ट में राज्य में 8017 करोड़ की गड़बड़ियां सामने आई हैं.

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शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में 8,017 करोड़ रुपये की गड़बड़ी : CAG रिपोर्ट

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (फाइल फोटो)

मध्य प्रदेश विधानसभा के पटल पर रखी गई मध्य प्रदेश नियंत्रक एवं महालेखाकार (सीएजी) की रिपोर्ट में राज्य में 8017 करोड़ की गड़बड़ियां सामने आई हैं. कांग्रेस ने इस पर पहले की शिवराज सरकार पर हमला बोला है. सीएजी की गुरुवार की देर शाम को जारी हुई रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य में घोर वित्तीय अनियमितताएं हुई हैं.

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कांग्रेस के प्रवक्ता सईद जाफर ने सीएजी की रिपोर्ट के आधार पर जारी विज्ञप्ति में बताया है कि शिवराज सरकार के काल में हुई वित्तीय अनियमितताओं का खुलासा हुआ है.

सीएजी (कैग) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए जाफर ने बताया कि सार्वजनिक क्षेत्र में 1224 करोड़ रुपये का नुकसान, छात्रावास संचालन में 147 करोड़ रुपये की अनियमितता, पेंच परियोजना में 376 करोड़ रुपये की अनियमितता हुई है. वहीं वाटर टैक्स में 6270 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. कुल मिलाकर राज्य में अनियमितता व नुकसान के जरिए 8017 करोड़ की चपत लगी है.

छत्तीसगढ़ में भी 4,601 करोड़ रुपये की गड़बड़ी

छत्तीसगढ़ के नियंत्रक एवं महालेखाकार (सीएजी) की रिपोर्ट में 4601 करोड़ रुपये के टेंडर में गड़बड़ी की बात सामने आई है. रिपोर्ट के मुताबिक, 17 विभागों के अधिकारियों द्वारा 4601 करोड़ रुपये के टेंडर में 74 ऐसे कंप्यूटरों का इस्तेमाल निविदा अपलोड करने के लिए किया गया था, जिनका इस्तेमाल फिर उन्हीं टेंडरों को भरने के लिए किया गया.

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सीएजी के प्रधान सचिव बी के मोहंती मोहंती ने बताया कि सीएजी की रिपोर्ट में भ्रष्टाचार उजागर हुआ है. सीएजी की रिपोर्ट में बताया गया है कि 108 करोड़ रुपये के टेंडर पीडब्ल्यूडी और डब्ल्यूआरडी प्रणाली द्वारा जारी न कर मैन्युअल जारी किए गए. ऐसा 1921 टेंडरों में हुआ, जिससे 4601 करोड़ रुपये के टेंडर अधिकारियों के कंप्यूटर से ही भरे गए. इससे साबित होता है कि टेंडर से पहले टेंडर डालने वाले और टेंडर की प्रक्रिया में शामिल अधिकारी एक-दूसरे के संपर्क में थे.

रिपोर्ट में बताया गया है कि पूर्ववर्ती रमन सिंह सरकार के दौरान 5 अयोग्य ठेकेदारों को 5-5 टेंडर जमा करने दिया गया. सीएजी ने सरकार से इस मामले की जांच कराने की सिफारिश की है और चिप्स की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल उठाए हैं.

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उन्होंने कहा कि चिप्स ने ई-टेंडर को सुरक्षित बनाने के लिए कोई पर्याप्त उपाय नहीं किया. इसी तरह 79 ठेकेदारों ने टेंडर प्रक्रिया में दो पैन का इस्तेमाल किया. एक पैन का इस्तेमाल पीडब्ल्यूडी में रजिस्ट्रेशन के लिए और दूसरा ई-प्रोक्योरमेंट में किया गया. ठेकेदारों ने आयकर अधिनियम की धारा 1961 का उल्लंघन किया है. इन 79 ठेकेदारों को 209 करोड़ रुपये का काम दिया गया.

Source : IANS

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