MP : सत्ता परिवर्तन के 20 दिन बाद भी नहीं हुआ मंत्रिमंडल का गठन, प्रदेश में लगातर बढ़ रहे कोरोना के मामले

लिहाजा भाजपा ने एक विशेष कार्य दल (टास्क फोर्स) बनाया है जो सरकार के कोरोना वायरस से निपटने के लिए किए जा रहे कामकाज की समीक्षा तो करेगा ही साथ ही समन्वय बनाने का भी काम करेगा.

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yogesh bhadauriya
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प्रतीकात्मक तस्वीर( Photo Credit : News State)

मध्य प्रदेश में सत्ता में बदलाव के बाद लगभग 20 दिन से ज्यादा का वक्त गुजर गया है मगर मंत्रिमंडल का गठन नहीं हो पाया है. इसका असर प्रशासनिक व्यवस्था पर पड़ रहा है. लिहाजा भाजपा ने एक विशेष कार्य दल (टास्क फोर्स) बनाया है जो सरकार के कोरोना वायरस से निपटने के लिए किए जा रहे कामकाज की समीक्षा तो करेगा ही साथ ही समन्वय बनाने का भी काम करेगा. राज्य में सरकार के नाम पर सिर्फ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हैं. उन्होंने 23 मार्च की रात को शपथ ली थी. मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद से कोरोना वायरस महामारी के बड़े संकट के चलते मंत्रिमंडल का गठन नहीं हो पाया है. इसकी एक वजह राजनीतिक समीकरण को भी माना जा रहा है. राज्य में लगातार कोरोना वायरस का संक्रमण बढ़ रहा है और स्वास्थ्य मंत्री के अलावा गृह मंत्री और खाद्य आपूर्ति मंत्री की सबसे ज्यादा जरूरत महसूस की जा रही है, मगर मंत्रिमंडल का गठन नहीं हो पाया है.

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पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी राज्य की वर्तमान स्थिति को लेकर भाजपा और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर हमला बोला था और कहा था कि यह अजूबा राज्य है जहां कोरोना वायरस से निपटने के लिए तैयारी नहीं है बगैर मंत्रियों की सरकार है यह.

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भाजपा का हाईकमान भी राज्य की स्थितियों से वाकिफ है और उसके निर्देश पर कोरोना वायरस की महामारी से निपटने के लिए एक विशेष कार्य दल बनाने का निर्णय लिया है. इस कार्य दल का संयोजक भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा को बनाया गया है. वहीं 10 सदस्य हैं जो कि सभी अनुभवी राजनेता हैं.

टास्क फोर्स के सदस्य मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी हैं इसके अलावा टास्क फोर्स में भाजपा के संगठन महामंत्री सुहास भगत राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव, नरोत्तम मिश्रा, राजेंद्र शुक्ल, तुलसी सिलावट, जगदीश देवड़ा, मीना सिंह और सांसद राकेश सिंह को शामिल किया गया है.

भाजपा द्वारा गठित किए गए विशेष कार्य दल के सदस्यों पर गौर करें तो एक बात साफ हो जाती है कि इन सभी नेताओं का नाता मध्य प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से है, जिससे लगता है कि इन सदस्यों को अलग-अलग क्षेत्र की जिम्मेदारी दी जाएगी. वे वहां की स्थितियों की समीक्षा करेंगे और आवश्यक दिशा-निर्देश भी जारी करेंगे. इस विशेष कार्य दल में मालवा, निमाड़, बुंदेलखंड, महाकौशल, चंबल, ग्वालियर, विंध्य आदि इलाकों के एक-एक प्रतिनिधि को स्थान दिया गया है. इससे साफ नजर आ रहा है कि संगठन कोरोना वायरस को लेकर चिंतित है और वह स्थितियों को हर हाल में नियंत्रित करना चाहता है.

मंत्रिमंडल का गठन न होने की स्थिति में टास्क फोर्स के सदस्यों की हैसियत मंत्री से ज्यादा रहेगी और एक खास इलाके के वे प्रभारी के तौर पर रहेंगे ऐसी संभावना जताई जा रही है. राजनीतिक विश्लेषक साजी थामस का मानना है, "राज्य को वर्तमान में मंत्रिमंडल की जरूरत है. इसे कोई नहीं नकार सकता, मगर राजनीतिक समीकरणों के चलते यह संभव नहीं हो पाया. हां भाजपा संगठन ने हालात की गंभीरता को समझा और एक बेहतर पहल की है और इससे लगता है कि जो काम मंत्रिमंडल को करना था, वह अब टास्क फोर्स के सदस्य करेंगे. इस टास्क फोर्स को प्रशासन का कितना साथ मिलता है यह बड़ा सवाल रहेगा."

Source : News State

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