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उपचुनाव बन गए शिवराज सिंह चौहान के लिए बड़ा इम्तिहान

आने वाले दिनों में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को एक बड़े इम्तिहान से गुजरना है और इसके नतीजों पर काफी कुछ निर्भर रहने वाला है.

Updated on: 02 Oct 2021, 12:05 PM

highlights

  • मध्य प्रदेश में 30 अक्टूबर को होने हैं उपचुनाव
  • एक संसदीय और तीन विधानसभा सीट दांव पर
  • इसके नतीजों पर टिका है शिवराज का भविष्य

भोपाल:

भाजपा में बदलाव की बयार बह रही है. असम, कर्नाटक, उत्तराखंड और गुजरात में जिस तरह से भाजपा ने मुख्यमंत्री चेहरे में बदलाव किया, उसके बाद से ही कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों को लेकर खबरें लगातार आती रहती है. किसी भी अन्य राज्य में मुख्यमंत्री बदलने को लेकर भाजपा की तरफ से एक ही जवाब आता है कि जब भी इस तरह का कोई फैसला होगा तो बता दिया जाएगा, लेकिन वास्तव में आज के दौर में भाजपा के सभी मुख्यमंत्रियों को लोकप्रियता और जीत की गारंटी की कसौटी से ही गुजरना पड़ रहा है. संभवतः इसलिए कहा जा रहा है कि आने वाले दिनों में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को एक बड़े इम्तिहान से गुजरना है और इसके नतीजों पर काफी कुछ निर्भर रहने वाला है.

30 अक्टूबर को मध्य प्रदेश में खंडवा लोकसभा सीट के साथ ही राज्य की 3 विधानसभा सीटों जोबट, रैगांव और पृथ्वीपुर पर उपचुनाव होना है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी इसका अंदाजा बखूबी है कि इन उपचुनावों को जीतना उनके लिए बहुत जरूरी है और इन सीटों पर दमोह उपचुनाव की तरह हार को पार्टी बर्दाश्त नहीं कर सकती है. खंडवा लोकसभा सीट पर भाजपा सांसद नंदकुमार सिंह चौहान के निधन की वजह से उपचुनाव करवाना पड़ रहा है, जबकि पृथ्वीपुर एवं जोबट की सीटें कांग्रेस विधायकों बृजेंद्र सिंह राठौर एवं कलावती भूरिया के निधन की वजह से खाली हुई है. रैगांव विधानसभा सीट भाजपा विधायक जुगल किशोर बागरी के निधन की वजह से खाली हुई है. मतलब विधानसभा की 3 में से एक सीट ही पहले भाजपा के पास थी और लोकसभा सीट की बात करें तो खंडवा को भाजपा का परंपरागत गढ़ माना जाता रहा है. यहां से भाजपा नेता नंदकुमार सिंह चौहान 6 बार चुनाव जीत चुके थे और अब शिवराज सिंह चौहान के सामने यह चुनौती है कि उनके निधन के कारण खाली हुई इस सीट को भाजपा के पाले में ही बरकरार रखा जाए.

यह उपचुनाव कितना महत्वपूर्ण है, इसका अंदाजा शिवराज सिंह चौहान को भी है इसलिए गुरुवार को प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद भी उन्होने उपचुनाव में जीत का दावा किया था. इस उपचुनाव में दमोह उपचुनाव का इतिहास न दोहराया जाए, इसे लेकर शिवराज सिंह चौहान काफी सतर्क भी हैं. इसलिए उप-चुनाव की घोषणा होने से पहले ही शिवराज जनदर्शन यात्रा के माध्यम से इन इलाकों के मतदाताओं और पार्टी कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद कर चुके थे और उपचुनाव की तारीख का ऐलान होने के बाद उन्होने अपने 22 मंत्रियों को इस चुनाव में उतार दिया है. भाजपा आलाकमान की नजर भी इन उपचुनावों पर बनी हुई है.