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उपचुनाव ने फिर प्रासंगिक किए आदिवासी, वोट बैंक पर सभी की नजर

भाजपा 18 सितंबर को जबलपुर में स्वतंत्रता के 75वें अमृत महोत्सव के दौरान आदिवासी वीर शंकरशाह और रघुनाथ शाह को याद करेंगे.

Updated on: 08 Sep 2021, 10:50 AM

highlights

  • मध्य प्रदेश में आदिवासी मतदाताओं का राजनीतिक महत्व
  • उपचुनाव के मद्देनजर लुभा रही है कांग्रेस और बीजेपी
  • साथ ही जमकर चल रहे हैं दोनों और से शब्दों के तीर

भोपाल:

मध्य प्रदेश में आदिवासी मतदाताओं का अपना राजनीतिक महत्व है इसलिए दोनों प्रमुख दलों, सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और विपक्षी कांग्रेस ने आदिवासियों में से अपने सबसे बड़े लाभार्थियों को बुलाना शुरू कर दिया है. कुल 230 विधानसभा सीटों में से 47 सीटें इस श्रेणी के लिए आरक्षित हैं और इन सीटों पर जीत या हार राजनीतिक खिलाड़ियों के लिए महत्वपूर्ण है इसलिए दोनों राजनीतिक दलों ने इन सीटों के लिए कोशिश तेज कर दी हैं. कांग्रेस ने आदिवासी अधिकार यात्रा का सहारा लिया है. पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बड़वानी में इस यात्रा में हिस्सा लिया और इसे आदिवासी विरोधी कहने में कोई झिझक नहीं दिखाते हुए बीजेपी पर जमकर हमला बोला. उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर भी हमला करते हुए कहा कि वह केवल घोषणाएं करते हैं.

भाजपा 18 सिंतबर को करेगी आदिवासी महापुरुषों को याद
वहीं दूसरी ओर भाजपा 18 सितंबर को जबलपुर में स्वतंत्रता के 75वें अमृत महोत्सव के दौरान आदिवासी वीर शंकरशाह और रघुनाथ शाह को याद करेंगे. इस कार्यक्रम में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी मौजूद रहेंगे. भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता और विधायक यशपाल सिंह सिसोदिया ने कहा कि कमलनाथ प्रदेश में 15 महीने सत्ता में थे, अगर उन्होंने आदिवासियों के हितों के लिए काम किया होता तो आज उन्हें अधिकार यात्रा निकालने की जरूरत नहीं पड़ती. मुख्यमंत्री को हमेशा आदिवासियों के अधिकारों की चिंता रही है. कमलनाथ आज आदिवासियों के लिए घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं.

कांग्रेस पर जमकर बोला हमला
सिसोदिया ने कहा कि कांग्रेस ने अपने 15 महीनों के शासन में आदिवासियों के लिए या भगवान बिरसा मुंडा, शंकर शाह, रघुनाथ शाह और वीरांगना दुर्गावती के लिए कोई काम नहीं किया. सिसोदिया ने कहा, 'आज आदिवासी वोट बैंक कांग्रेस के हाथ से फिसल रहा है, ऐसे में वह विदेशी ताकतों के सहारे समाज में विभाजन की रेखा खींच रहे हैं. कमलनाथ यात्रा निकालकर केवल आदिवासियों को गुमराह कर रहे हैं.' राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि एक लोकसभा और तीन विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव हो रहे हैं, ऐसे में दोनों पार्टियों ने आदिवासियों को लुभाने की कोशिशें तेज कर दी हैं.