कभी बुंदेलखंड जल संरचनाओं की थी पहचान, अब यहां दफन होते जल स्रोत
देश में कभी बुंदेलखंड जल संरचनाओं के कारण पहचाना जाता था, मगर अब यही इलाका सूखा और जल अभाव क्षेत्र के तौर पर पहचाना जाने लगा है. ऐसा इसलिए क्योंकि यहां के जल स्रोत धीरे-धीरे सिकुड़ते गए, दफन होते गए और बसावट का रूप ले लिया.
छतरपुर:
देश में कभी बुंदेलखंड जल संरचनाओं के कारण पहचाना जाता था, मगर अब यही इलाका सूखा और जल अभाव क्षेत्र के तौर पर पहचाना जाने लगा है. ऐसा इसलिए क्योंकि यहां के जल स्रोत धीरे-धीरे सिकुड़ते गए, दफन होते गए और बसावट का रूप ले लिया. बुंदेलखंड वह इलाका है जहां बुंदेला और चंदेल राजाओं के काल में हजारों जल संरचनाओं का निर्माण किया गया था. यही कारण रहा कि इस इलाके को कभी भी पानी के संकट के दौर से नहीं गुजरना पड़ा. मगर वक्त गुजरने के साथ हालात बदले और एक तरफ जहां जल संरचनाएं सिमटती गई, वहीं उन्हें दफन करने का भी दौर चलता रहा. परिणाम स्वरुप यह इलाका सूखा और जल संकट में घिरने लगा.
यह भी पढ़ें : LoC के बेहद करीब दिखा पाकिस्तान का फाइटर प्लेन, सेना अलर्ट
हाल ही में एक नया उदाहरण सामने आ रहा है और वह है विश्व स्तरीय पर्यटन स्थल खजुराहो से जुड़ा हुआ, यहां कभी पायल वाटिका में एक छोटी जल संरचना हुआ करती थी. पायल वाटिका वह स्थान है जो इस नगर के बीचो-बीच और आम लोगों की नजरों में रहने वाला है. उसके बावजूद यहां की जल संरचना को बीते सालों में दफन किया जा चुका है. लोगों ने इसे दफन होते देखा मगर किसी ने कुछ नहीं कहा. अब यहां के लोगों का दर्द सामने आने लगा है और वे सवाल उठाने लगे हैं कि आखिर इन जल संरचनाओं को इस तरह से दफन क्यों किया जाता है.
यह भी पढ़ें : कोरोना का RT-PCR टेस्ट होगा सस्ता, अभी रेट तय नहीं
बुंदेलखंड के राजनीतिक विश्लेषक और जानकार रवींद्र व्यास का कहना है कि बुंदेलखंड में पानी की समस्या होगी, यह बुजुर्गों ने कभी नहीं सोचा होगा. मगर वर्तमान हालात यहां के एकदम उलट हैं. इस इलाके में जल संकट को निपटाने के लिए सरकारों ने और सामाजिक संगठनों ने करोड़ों रुपए खर्च कर दिए, मगर स्थितियां नहीं बदली. जल संरचनाएं सुधारने से लेकर नई जल रचनाएं बनाने का दौर चला, मगर उसका लाभ आमजन को नहीं हुआ. उसका लाभ हुआ तो उन ठेकेदारों को जो इन जल संरचनाओं को सुधारने और बनाने का काम अपने हाथ में लेते हैं.
यह भी पढ़ें : कांग्रेस की दुविधा...एक ने की पीएम मोदी की तारीफ, दूसरे ने कसा तंज
इस क्षेत्र के लोगों का मानना है कि जिस अभियान में आमजन की हिस्सेदारी रही वह तो मूर्तरुप ले गई, मगर जिसमें धनराषि सरकार या अन्य माध्यम से आवंटित की गई और काम किसी खास वर्ग के हाथ में सौंपा गया तो उसका हाल आम निर्माण कार्यों जैसा हो गया. पन्ना उदाहरण है जहां धर्म सागर तालाब के लिए स्थानीय लोगों ने अभियान चलाया, करोड़ो रुपये इकटठा कर तालाब की सूरत ही बदल दी.
यह भी पढ़ें :
बुंदेलखंड के जल विशेषज्ञ के.एस. तिवारी का कहना है कि बुंदेलखंड का दुर्भाग्य है कि लोगों ने इस क्षेत्र को सिर्फ लूट का साधन बनाया. जमीनखोरों ने इस इलाके की संपन्नता के प्रतीक जलसंरचनाओं केा निशाना बनाया. यही कारण रहा कि धीरे-धीरे जल संरचनाएं सिकुड़ती गई, उन पर लोगों ने कब्जा कर इमारतें बना डाली. जल संरचनाओं की मरम्मत से लेकर उन्हें बनाने के लिए आई रकम की बंदरबांट हो गई. जरुरत इस बात की है कि जल संरचनाओं का सीमांकन किया जाए और अवैध कब्जों के खिलाफ मुहिम चले. यह तभी संभव है जब प्रशासनिक और राजनीतिक इच्छाशक्ति हो.
बुंदेलखंड वह इलाका है जिसमें उत्तर प्रदेश के सात और मध्य प्रदेश के सात जिले आते हैं. कुल मिलाकर 14 जिलों में फैला है बुंदेलखंड. इस क्षेत्र से रोजगार की तलाश में हर साल लाखों परिवार पलायन करते हैं. खेती के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिलता, परिणामस्वरुप सूखा यहां की नीयति बन गया है.
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Hanuman Jayanti 2024: हनुमान जयंती पर गलती से भी न करें ये काम, बजरंगबली हो जाएंगे नाराज
-
Vastu Tips For Office Desk: ऑफिस डेस्क पर शीशा रखना शुभ या अशुभ, जानें यहां
-
Aaj Ka Panchang 20 April 2024: क्या है 20 अप्रैल 2024 का पंचांग, जानें शुभ-अशुभ मुहूर्त और राहु काल का समय
-
Akshaya Tritiya 2024: 10 मई को चरम पर होंगे सोने-चांदी के रेट, ये है बड़ी वजह