logo-image

बसपा ग्वालियर-चंबल में सियासी गणित बदलने में सक्षम

विधानसभा उपचुनाव में बसपा एक बार फिर बड़े दलों का सियासी गणित बिगाड़ दे तो किसी को अचरज नहीं होगा. राज्य में 28 विधानसभा क्षेत्रों के उप चुनाव होने वाले हैं.

Updated on: 28 Sep 2020, 07:12 AM

नई दिल्ली:

मध्यप्रदेश का ग्वालियर-चंबल (Gwalior-Chambal) वह इलाका है, जहां बीते कुछ चुनाव से जीत-हार भले ही भाजपा या कांग्रेस के हिस्से में आई हो, मगर बहुजन समाज पार्टी (BSP) परिणामों को प्रभावित करने में बड़ी भूमिका निभाती आई है. विधानसभा उपचुनाव (Bypoll)  में बसपा एक बार फिर बड़े दलों का सियासी गणित बिगाड़ दे तो किसी को अचरज नहीं होगा. राज्य में 28 विधानसभा क्षेत्रों के उप चुनाव होने वाले हैं, इनमें से 16 सीटें ग्वालियर-चंबल इलाके से आती हैं. यह इलाका उत्तर प्रदेश (UP) की सीमा से लगा हुआ है, लिहाजा यहां की राजनीति पर बसपा का भी असर है. इस इलाके की कई सीटें ऐसी हैं जहां बसपा के उम्मीदवार भी जीत चुके हैं.

यह भी पढ़ेंः LAC पर सर्दियों के लिए भारतीय सेना तैयार, अब तक का सबसे बड़ा अभियान

जनाधार कम हुआ, लेकिन वोट बैंक है
इस इलाके में बसपा का जनाधार बीते कुछ वर्षो में कम जरूर हुआ है, मगर उसका अपना वोट बैंक अब भी है. 2018 के ही चुनाव पर नजर दौड़ाई जाए तो एक बात साफ हो जाती है कि इस इलाके की पोहरी, जौरा, अंबाह, करैरा, गोहद, डबरा, दिमनी, मुरैना, सुमावली, मेहगांव और ग्वालियर पूर्व विधानसभा क्षेत्र है, जहां बसपा ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी. बसपा के इस क्षेत्र में प्रभाव का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कांग्रेस ने आगामी विधानसभा के उपचुनाव के लिए बसपा के पुराने नेता फूल सिंह बरैया, सत्य प्रकाश संखवार, प्रागी लाल जाटव को उम्मीदवार बनाया है.

यह भी पढ़ेंः अब मोदी कैबिनेट विस्तार पर टिकी निगाहें, भाजपा में सरगर्मी बढ़ी

बसपा ने उतारे 8 उम्मीदवार
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ग्वालियर-चंबल इलाके में बसपा की ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कई सीटें ऐसी हैं, जहां पिछले चुनाव में बसपा के उम्मीदवार दूसरे स्थान पर रहे थे. वैसे बसपा उपचुनाव में उम्मीदवार नहीं उतारती थी, मगर इस बार वह आठ उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर चुकी है, इसके चलते इतना तो तय है कि बसपा के उम्मीदवार जीतें भले ही नहीं, मगर नतीजों को प्रभावित करने में सक्षम है.