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Corona की दूसरी लहर में दवाओं और उपकरणों की कालाबाजारी

स्पतालों में मरीजों को ऑक्सीजन न मिलने, दवाओं की कमी होने, बेड खाली न होने की शिकायतें लगातार आ रही है. इतना ही नहीं रेमडेसिविर इंजेक्शन की भी कालाबाजारी जोरों पर है.

Updated on: 19 Apr 2021, 12:53 PM

highlights

  • कोरोना वायरस की दूसरी लहर भयावह रूप ले चुकी है
  • दवाओं और उपकरणों की कालाबाजारी भी जोरों पर
  • कालाबाजारी करने वालों के विरूद्ध सख्त कार्रवाई होगी

भोपाल:

मध्य प्रदेश में कोरोना वायरस (Corona Virus) की दूसरी लहर भयावह रूप ले चुकी है, मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है तो मौत का आंकड़ा भी तेजी से बढ़ रहा है. इसके साथ ही अस्पतालों में सुविधाओं का टोटा है. इतना ही नहीं दवाओं और उपकरणों की कालाबाजारी भी जोर पकड़ रही है. राज्य सरकार ने कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. राज्य में कोरोना संक्रमित मरीजों कीं सख्या 12 हजार को पार कर गई है. पॉजिटिव मरीजों की संख्या 22 प्रतिशत से ज्यादा है. सबसे बुरा हाल इंदौर, भोपाल व ग्वालियर का है, जहां मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. राज्य के बड़े हिस्से में पूर्णबंदी का सहारा लिया जा रहा है. शिक्षण संस्थाएं बंद है. अस्पतालों की स्थिति को बेहतर किए जाने के दावे किए जा रहे हैं.

राज्य के कई अस्पतालों में मरीजों को ऑक्सीजन न मिलने, दवाओं की कमी होने, बेड खाली न होने की शिकायतें लगातार आ रही है. इतना ही नहीं रेमडेसिविर इंजेक्शन की भी कालाबाजारी जोरों पर है. वहीं ऑक्सीमीटर व वेपोरब मशीन बाजार से गायब हो चुकी है. कई स्थानों पर कालाबाजारी भी जोरों पर है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी दवाओं और अन्य सामग्री की कालाबाजारी को गंभीरता से लिया है. साथ ही अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि औषधियों और इंजेक्शन के वितरण की न्यायपूर्ण व्यवस्था हो. इनकी कालाबाजारी करने वालों के विरूद्ध सख्त कार्रवाई हो.

सरकार की ओर से दावा किया गया है कि प्रदेश में ऑक्सीजन की आपूर्ति इस माह के आखरी तक 700 मीट्रिक टन हो जाएगी. रविवार को प्रदेश को 390 मीट्रिक टन ऑक्सीजन प्राप्त हुई है. प्रदेश में ऑक्सीजन की आपूर्ति निरंतर बढ़ रही है. ओडिशा और छत्तीसगढ़ से भी ऑक्सीजन आपूर्ति में सहयोग मिला है. राज्य के छह संभागों भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, सागर और रीवा में कोविड केयर सेंटर के लिए भवनों को चिन्हित किया जा रहा है ताकि भविष्य में बढ़ने वाली रोगी संख्या के मद्देनजर व्यवस्थाएं दुरुस्त रहे. इन भवनों में लगभग एक हजार बेड उपलब्ध होंगे.