बीते दो दिन से मध्य प्रदेश की राजनीति में जो दिखा उसे देखकर कह सकते हैं कि महाराष्ट्र के बाद मध्य प्रदेश अब ऐसा दूसरा राज्य बन गया है जहां बीजेपी का ऑपरेशन लोटस फेल हो गया. बीते दिनों मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने दावा किया था कि बीजेपी कमलनाथ सरकार गिराने के लिए ऑपरेशन चला रही है. इसके तहत मंगलवार रात तक 11 विधायक गुड़गांव के आईटीसी मराठा होटल पहुंच गए थे. इसके बाद बीजेपी और कांग्रेस के बीच सत्ता के लिए भोपाल से दिल्ली तक करीब 24 घंटे तक सियासी घमासान छिड़ा रहा. बुधवार रात तक होटल में ठहरे 6 विधायक भोपाल लौट आए. लेकिन अभी 4 विधायकों की लोकेशन नहीं मिल रही है. उनके बेंगलुरु में होने का दावा किया जा रहा है. मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा है कि सरकार को कोई खतरा नहीं है.
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विधायक के गनमैन की गलती से फेल हुआ ऑपरेशन
मंगलवार रात तक सब कुछ योजनानुसार चल रहा था, लेकिन कहा जा रहा है कि एक विधायक के गनमैन की गलती से बीजेपी का पूरा ऑपरेशन फेल हो गया. इस विधायक के गनमैन ने दिल्ली रवाना होते समय एक फोन किया था और इसी फोन से दिल्ली में विधायकों के एकत्रित होने की खबर लीक हो गई. कांग्रेस को ऑपरेशन लोटस फेल करने का वक्त मिल गया. बताया जा रहा है कि दिल्ली में मंगलवार को सत्तापक्ष से जुड़े 12 विधायकों (कांग्रेस व अन्य) को एकत्रित होना था, जिसमें से 11 पहुंच गए.
इनकी मुलाकात बुधवार को बीजेपी के बड़े नेताओं से होनी थी. इस पूरे पॉलिटिकल ड्रामे में दो संभावनाओं का अनुमान लगाया गया था कि ये 11 विधायक सत्ता से बाहर होते हैं तो राज्यसभा चुनाव से पहले सरकार गिर जाएगी. दिल्ली में दो जगह और बेंगलुरु में एक जगह विधायकों को रुकना था. कर्नाटक में मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के बेटे विजयेंद्र को मप्र के विधायकों को संभालने का जिम्मा सौंपा गया था. बेंगलुरु के प्रेस्टीज पालम मेडोज में तीन कांग्रेसी और एक निर्दलीय विधायक को रखा गया है.
बीजेपी हाईकमान ने इस ऑपरेशन लोटस में यह शर्त रखी थी कि यह फेल नहीं होना चाहिए, लेकिन कांग्रेस के सक्रिय होते ही यह कमजोर हो गया. ऑपरेशन फेल होने के बाद नरोत्तम समेत अन्य नेता तो दिल्ली से रवाना हो गए, लेकिन शिवराज सिंह को बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष ने दिल्ली बुला लिया. इधर, बताया जा रहा है कि बेंगलुरु से निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा ने मुख्यमंत्री कमलनाथ से फोन पर बात की है. उनका कहना है कि बाकी विधायक गुरुवार को लौट आएंगे.
जोड़-तोड़ की दो बड़ी वजह
कांग्रेस के पास 121 विधायक हैं. भाजपा के पास 107. इसी महीने राज्यसभा की तीन सीटों की वोटिंग है. इसमें एक सीट के लिए 58 विधायक चाहिए. इस स्थिति में कांग्रेस को दो सीट के लिए अपने विधायकों के अलावा एक अन्य की जरूरत है.
बीजेपी को दूसरी सीट जीतने के लिए 9 विधायकों की जरूरत पड़ेगी. दलबदल अधिनियम के अनुसार किसी दल के दो तिहाई सदस्यों के दूसरी पार्टी में शामिल होने या अलग होने पर उनकी सदस्यता बची रहेगी. बसपा के दो विधायक हैं, यदि दोनों अलग-अलग वोट करते हैं तो इसमें पार्टी व्हिप के खिलाफ वोट करने वाले की विधायकी खतरे में पड़ जाएगी. यही स्थित सपा के एक विधायक पर लागू होगी. निर्दलीय कहीं भी वोट करें उनकी सदस्यता पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन यदि वह कोई पार्टी ज्वाइन करता है तो दलबदल के तहत कार्रवाई हो सकती है.
भोपाल से दिल्ली तक ऐसे चला सियासी घटनाक्रम
बुधवार दोपहर 6 विधायक भोपाल पहुंचे. इनमें सपा के राजेश शुक्ला (बब्लू), बसपा के संजीव सिंह कुशवाह, कांग्रेस के ऐंदल सिंह कंसाना, रणवीर जाटव, कमलेश जाटव और बसपा से निष्काषित राम बाई शामिल हैं. अभी 4 विधायकों की लोकेशन नहीं मिल रही है. इनमें कांग्रेस के बिसाहूलाल, हरदीप सिंह डंग, रघुराज कंसाना और निर्दलीय सुरेंद्र सिंह शेरा शामिल हैं. दिग्विजय ने कहा कि बीजेपी ने 4 विधायकों को जबरन गुड़गांव से बेंगलुरु शिफ्ट किया है.
Source : News State