वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में गुना-शिवपुरी संसदीय सीट से दिग्गज कांग्रेसी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया को हराकर सुर्खियों में आए बीजेपी सांसद डॉ. केपी यादव की मुश्किल बढ़ गई है. सोमवार को मुंगावली एसडीएम ने यादव और उनके बेटे के जाति प्रमाण-पत्र निरस्त कर दिए.
यह कार्रवाई एसडीएम द्वारा 2014 में बेटे सार्थक यादव को पिछड़ा वर्ग आरक्षण का लाभ दिलाने के लिए अपनी आय क्रीमीलेयर 8 लाख रुपए से कम बताने पर की गई है. जबकि लोकसभा चुनाव के दौरान यादव ने अपनी आय 39 लाख रुपए बताई थी. दोनों आय में अंतर होने पर मुंगावली से कांग्रेस विधायक ब्रजेंद्र सिंह यादव ने इसकी शिकायत एसडीएम से की थी. जांच के बाद एसडीएम ने जाति प्रमाण पत्र निरस्त कर इसका प्रतिवेदन एडीएम को भेजा है.
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इस मामले को विधानसभा के शीतकालीन सत्र में कांग्रेस विधायकों के उठाने की संभावना है. कानून विशेषज्ञों के मुताबिक ऐसे मामलों में आईपीसी की धारा 466 (दस्तावेज की कूट रचना) एवं 181 (शपथ दिलाने या अभिपुष्टि कराने के लिए प्राधिकॄत लोक सेवक के या व्यक्ति के समक्ष शपथ या अभिपुष्टि पर झूठा बयान) के तहत प्रकरण दर्ज किया जाता है. दोषी पाए जाने पर अधिकतम 7 वर्ष की सजा का प्रावधान है.
मुंगावली से विधायत ब्रजेन्द्र सिंह यादव ने इस पूरे मामले पर विरोध जताते हुए कहा कि सांसद केपी यादव ने जो आय प्रमाण पत्र बनवाया था, उसमें उन्होंने अपनी आय को जाति प्रमाण पत्र का फायदा उठाने के लिए क्रीमीलेयर के नीचे दर्शाया था. किसी गरीब का हक मारकर डॉ यादव इसका फायदा अपने बेटे को दिलवाना चाहते थे. यह नियम के विरुद्ध है. मंगावली विधायक ने सांसद पर धोखाधड़ी का केस दर्ज कर कार्रवाई की बात कही.
Source : News Nation Bureau