MP में BJP का किसान सम्मेलन, किसानों को कृषि कानूनों से आर्थिक आजादी मिली
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों की बेहतरी के लिए शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म योजनाएं बनाईं. खेती की लागत कम करने के उपाय किए, स्वाइल हेल्थ कॉर्ड बनवाए. किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिल सके, इसकी व्यवस्था की.
भोपाल:
केंद्र सरकार के तीन कृषि कानून किसानों के लिए किस तरह से लाभकारी है, उनके जीवन में कितना बदलाव लाएंगे, यह बताने के लिए मध्य प्रदेश में भाजपा आमजन से लेकर किसानों तक पहुंच रही है. इसी क्रम में बुधवार को किसान सम्मेलनों का आयेाजन किया गया. इन सम्मेलनों में तमाम बड़े नेताओं ने कृषि कानूनांे को किसानों की जिंदगी में आर्थिक आजादी देने वाला बताया.
भाजपा ने रीवा, जबलपुर, इंदौर, ग्वालियर में किसान सम्मेलनों का आयोजन किया. रीवा व जबलपुर के किसान सम्मेलन में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ पर निशाना साधते हुए कहा, "जिन कमलनाथ ने मुख्यमंत्री रहते किसानों को एक रुपया नहीं दिया, वो किसानों की बातें कर रहे हैं. जिन राहुल गांधी को ये नहीं पता कि खेती कैसे होती है, वे कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं. भाजपा किसानों का दुख-दर्द जानती है और इस देश में अगर कोई सच्चा किसान हितैषी है, तो वो हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं. उन्होंने कृषि कानून बनाकर किसानों को अधिकार संपन्न बनाया है. लेकिन किसानों को अधिकार मिलने से कांग्रेस के पेट में दर्द क्यों हो रहा है?"
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों की बेहतरी के लिए शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म योजनाएं बनाईं. खेती की लागत कम करने के उपाय किए, स्वाइल हेल्थ कॉर्ड बनवाए. किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिल सके, इसकी व्यवस्था की.
सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने कहा कि, "कांग्रेस और वामपंथी मंडियों और एमएसपी के बंद होने का झूठ फैला रहे हैं, जबकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर समेत मध्यप्रदेश में भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने साफ कहा है कि मंडी और एमएसपी दोनों चालू रहेंगे. नये कृषि कानून में यह प्रावधान है कि किसान चाहे तो मंडी में या अपने खेत में ही व्यापारी को बुलाकर फसल का सौदा अपनी इच्छानुसार कर सकता है."
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष शर्मा ने सम्मेलन में मौजूद किसानों को नये कृषि कानून के फायदे गिनाते हुए कहा कि कोई उद्योगपति या कलाकार अपने उत्पाद की कीमत तय कर सकता है, तो खेतों में हाड़तोड़ मेहनत करने वाले किसान अपनी उपज की कीमत क्यों तय नहीं कर सकते? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह फैसला लिया और नये कृषि कानून के जरिये किसानों को उनका अधिकार देकर उन्हें सशक्त बनाया है.
ग्वालियर में किसान सम्मेलन में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि, "नए कृषि कानूनों को पूरे देश के किसानों का समर्थन मिल रहा है, लेकिन विपक्ष ने पंजाब के किसानों को भ्रमित कर दिया और वे आंदोलन कर रहे हैं. सरकार 24 घंटे किसानों से चर्चा के लिए तैयार है, लेकिन विपक्ष यदि किसानों के सहारे मोदी सरकार की छवि को धूमिल करने का काम करेगा तो सरकार उसका जबाव देगी. पहले कांग्रेस ने भी अपने घोषणा पत्र में नए कृषि कानून बनाने की बात कही थी और अब यही काम मोदी सरकार ने किया है तो उन्हें इसलिए तकलीफ हो रही है, क्योंकि जनता का समर्थन मिल रहा है."
तोमर ने कहा कि जब 2014 में मोदी सरकार बनी थी, तो प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि यह बहुमत सरकार बनाने के लिए नहीं, बल्कि देश बदलने के लिए मिला है. देश बदलना है तो कठोर निर्णय लेने होंगे और इसमें अपने ही लोगों से संघर्ष होगा.
किसानों और खेती की मजबूती के लिए काम कर रही सरकार
तोमर ने कहा कि मोदी सरकार ने किसानों व खेती को मजबूत करने का काम किया है. स्वामीनाथन रिपोर्ट के आधार पर न्यूनतम समर्थन मूल्य दिया. पहले केवल गेहूं और चावल का ही एमएसपी मिलता था, अब कई प्रकार की फसलों का समर्थन मूल्य है. देश में छोटे किसान हैं और उनको आगे बढ़ाने के लिए कानून में बदलाव करना जरूरी था.
किसान सम्मेलन में राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि, "मोदी सरकार ने किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए नए कृषि कानून बनाए हैं. कांग्रेस सरकार में किसानों को फसल का मूल्य नहीं मिलता था. किसान खाद व बीज के लिए लाइन लगाकर खड़े रहते थे, लेकिन अब समय से पहले सब कुछ किसानों को उपलब्ध है. कोरोना महामारी में फैक्ट्रियां बंद थी, लेकिन किसान खेत में मेहनत कर रहे थे. इसी सरकार ने किसानों के लिए एक लाख करोड़ रुपए का इंफ्रस्ट्रक्चर फंड दिया. 6000 रुपए किसान सम्मान निधि दी, जिसे मप्र में शिवराज सरकार ने बढ़ाकर 10 हजार रुपए कर दी है. मप्र सरकार ने किसानों को सिंचाई के लिए 5000 करोड़ रुपए दिए, जिससे 24 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में पानी पहुंचेगा."
इसी तरह इंदौर में आयोजित सम्मेलन में केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने का कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंग्रेजों के समय के कानूनों को समाप्त कर दिया है, जो किसानों को बंधन में रखते थे. प्रधानमंत्री ने किसानों को अधिकार संपन्न बनाया है. लेकिन कांग्रेस और विपक्षी दल झूठ फैलाकर लोगों को भड़का रहे हैं. हर अच्छे काम का विरोध करना उनकी आदत बन गई है.
प्रधान ने कहा कि अंग्रेजों के समय से चल रहे कानून में यह प्रावधान था कि किसान अपनी फसल बाहर नहीं बेच सकते, बिचौलियों के माध्यम से ही बेच सकते हैं. लेकिन मोदीजी ने नए कानून बनाकर किसानों को यह छूट दी है कि वह अपनी फसल कहीं भी बेच सकता है.
विजयवर्गीय ने कहा कि अगर हम कपड़े खरीदने जाते हैं तो कपड़े वाला भाव तय करता है, बर्तन का भाव बर्तन वाला, मोटरसाईकिल का भाव व्यापारी तय करते हैं, तो किसानों की फसल का भाव किसान क्यों नहीं तय कर सकता? प्रधानमंत्री ने अंग्रेजों के समय से चले आ रहे इसी काले कानून को खत्म करके यह नये कृषि बिल बनाये हैं, जिसके माध्यम से किसान अपनी फसल को मंडी में या मंडी के बाहर कहीं भी बेच सकता है.
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