राज्य में विधानसभा चुनाव की गहमागहमी के बीच 1984 में हुर्इ भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों ने मुआवजा मांगने के लिए अनोखा अभियान शुरू किया है. पीड़ितों ने घरों के बाहर पोस्टर लगाया है, जिसमें कहा गया है : मुआवजा नहीं तो वोट नहीं. बता दें कि 3 दिसम्बर 1984 को मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में यूनियन कार्बाइड कंपनी में मिथाइल आइसोसाइनाइट (मिक) के रिसाव में हजारों लोग शिकार हो गए थे. हालात यह है कि आज भी लोग इस त्रासदी का दंश झेल रहे हैं.
इस त्रासदी के पीड़ितों का कहना है कि सभी सरकारों ने हमारे साथ धोखा किया है. उन्हें केवल 25 हजार रुपये का मुआवजा दिया गया. पीड़ितों ने मांग की कि सरकार कम से कम पांच लाख रुपये मुआवजा दे. कांग्रेस हो या भाजपा, स्टाम्प पर लिखकर दे, तभी हम वोट देंगे. पीड़ितों ने यह भी कहा कि अब तक की सरकारों ने उनके साथ केवल राजनीति की है. उन्हें केवल आश्वासन दिया गया, मदद नहीं मिली.
भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड नामक कंपनी के कारखाने से एक ज़हरीली गैस का रिसाव हुआ था, जिसमें 15000 से अधिक लोगों की जान चली गई थी और बहुत सारे लोग शारीरिक अपंगता के शिकार हो गए थे. इस घटना में मिथाइल आइसोसाइनाइट (मिक) नामक जहरीली गैस का रिसाव हुआ था, जिसका उपयोग कीटनाशक बनाने के लिए किया जाता था। मध्यप्रदेश की तत्कालीन सरकार ने 3,787 की गैस से मरने वालों के रूप में पुष्टि की थी. अन्य अनुमान बताते हैं कि 8000 लोगों की मौत तो दो सप्ताहों के अंदर हो गई थी.