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मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से बेहद शॉकिंग मामला सामने आया है. यहां एक इंजीनियर को इसबार शिकार बनाया गया. हैरत की बात तो ये है कि पीड़ित खुद लोगों को ऐसे फ्रॉड से बचने के लिए सजग करता था. पुलिस के अनुसार उसे 6 घंटे तक कैद रखा गया, जिसके चलते वह डर के मारे सदमे में आ गया. हालांकि बाद में इसकी सूचना क्राइम ब्रांच को दी गई, जिसके बाद सहमे हुए पीड़ित इंजीनियर को ठगों के चंगुल से बचाया गया.
भोपाल पुलिस कमिश्नर हरिनारायणचारी मिश्रा ने बताया कि मामला बजरिया थाना क्षेत्र के गायत्री नगर का है. यहां टेलीकॉम कंपनी में इंजीनियर प्रमोद कुमार के पास मंगलवार शाम को करीब 4:30 बजे एक कॉल आता है जो खुद को EOW ऑफिसर बताता है. आरोपी प्रमोद से कहता है कि आपके नंबर से कई सारे बैंक खातों में बड़ी रकम का ट्रांजैक्शन हुआ है. सामने वाले शख्स ने प्रमोद को कहा कि वो थोड़ी देर में वीडियो कॉल करने वाला है इसलिए अपने फोन को चालू रखे.
वीडियो कॉल पर खुद को बताया पुलिस ऑफिसर
इसके बाद प्रमोद को एक वीडियो कॉल आया, जिसमें 3 लोग पुलिस ऑफिसर की ड्रेस में दिखाई दिये. उन्होंने कहा कि आपके नंबर से फिरौती की मोटी रकम ऑनलाइन ट्रांसफर की गई है. यह सुनते ही प्रमोद डर गया और उसने ऐसे किसी भी तरह के ट्रांजैक्शन की जानकारी होने से मना कर दिया. बावजूद इसके पुलिस ऑफिसर बनकर कॉल कर रहे लोग प्रमोद पर दबाव बनाने लगे. इसके बाद उससे 3 लाख 50 हजार रुपये की डिमांड रख दी.
घबराहट में कमरे में खुद को कर लिया कैद
डिजिटल अरेस्ट के दौरान प्रमोद इतना घबरा गया कि उसने खुद को बाकी परिवार से अलग कर लिया. परिजन हों या दोस्त उन्होंने सभी से बात करना बंद कर दिया था. जालसाजों ने प्रमोद को कहा था कि वो 24 घंटे तक एक कमरे में रहे और किसी को भी इसके बारे में पता न लगने दें. हालांकि, जब देर रात तक पति कमरे से बाहर नहीं निकले तो पत्नी ने इस हालत के बारे में प्रमोद के दफ्तर के साथियों को सूचना पहुंचाई. सुबह सहकर्मी आए और उन्होंने पुलिस तक इसके बारे में सूचित किया.
इसके बाद मौके पर क्राइम ब्रांच के एडिशनल डीसीपी शैलेन्द्र सिंह चौहान अपनी टीम के साथ पहुंच गए. उन्होंने बताया गया कि प्रमोद ना तो कमरे से बाहर आ रहा है और ना ही फोन उठा रहा है. इस पर क्राइम ब्रांच के अफसरों ने प्रमोद की काउंसलिंग करना शुरू की, तब जाकर उसने दरवाजा खोला और अपनी आपबीती पुलिस को सुनाई. प्रमोद ने बताया कि उन्होंने उसे 24 घंटे तक का समय दिया था और कहा था कि वो उसे दोबारा कॉल करेंगे.
काफी काउंसलिंग के बाद खोला दरवाजा
पुलिस ने प्रमोद को समझाइश दी कि यह एक फ्रॉड कॉल था जिसका उदेश्य उन्हें लूटना था. क्राइम ब्रांच के इस आश्वासन के बाद प्रमोद को राहत मिली और वो कमरे से बाहर आए. उन्होंने पुलिस को बताया कि वो खुद लोगों को इस तरह के फ्रॉड कॉल से बचने की सलाह देते हैं लेकिन जिस तरह से जालसाजों के पास उनकी कई जानकरियां थीं तो वो भी सहम गए थे. बहरहाल एक हफ्ते में डिजिटल अरेस्ट के एक और मामले में शख्स ठगी से बच गया जिसके बाद क्राइम ब्रांच ने मामला दर्ज कर तफ्तीश में जुट गई है.