Advertisment

अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम को बड़ी राहत, प्रोटेक्शन वारंट निरस्त

अबू सलेम की तरफ से याचिका वर्ष 2014 में दायर की गई थी, जिसमें कहा गया है कि वर्ष 2003 में प्रत्यर्पण संधि के तहत उसे पुतर्गाल से भारत लाया गया था और उसके खिलाफ 9 आपराधिक मामले भारत में चलाए जाने थे।

author-image
Jeevan Prakash
एडिट
New Update
अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम को बड़ी राहत, प्रोटेक्शन वारंट निरस्त

अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम (फाइल फोटो)

Advertisment

अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम को शुक्रवार को जबलपुर हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिल गई। उसके खिलाफ भोपाल जिला कोर्ट द्वारा जारी प्रोटेक्शन वारंट को निरस्त करते हुए जस्टिस विवेक अग्रवाल ने आदेश दिया है कि सलेम के मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार प्रत्यर्पण संधि के मुताबिक मुकदमा चलाया जाए।

अधिवक्ता आलोक बागरेचा ने संवाददाताओं को बताया कि अबू सलेम ने भोपाल में पुलिस द्वारा दसवां अपराधिक मामला दर्ज किए जाने तथा जिला कोर्ट द्वारा उसके खिलाफ प्रोटेक्शन वारंट जारी किए जाने के खिलाफ हाईकोर्ट जबलपुर में याचिका दायर की गई थी।

याचिका में कहा गया था कि प्रत्यर्पण संधि के अनुसार, उसके खिलाफ सिर्फ नौ आपराधिक मामले ही भारत में चल सकते हैं। दसवां मामला दर्ज किया जाना प्रत्यर्पण संधि का उल्लंघन है।

बागरेचा के मुताबिक, जस्टिस विवेक अग्रवाल की एकल पीठ ने अपने विस्तृत फैसले में भोपाल जिला कोर्ट द्वारा याचिकाकर्ता के खिलाफ जारी प्रोटेक्शन वारंट को निरस्त कर दिया है।

एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने प्रत्यर्पण संधि के अनुसार अबू सलेम के खिलाफ मुकदमा चलाने के निर्देश दिए हैं। इसलिए भोपाल जिला कोर्ट इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करे।

और पढ़ें: 178 वस्तुओं पर GST दर 28% से घटकर 18%, होटल में खाना सस्ता

अबू सलेम की तरफ से याचिका वर्ष 2014 में दायर की गई थी, जिसमें कहा गया है कि वर्ष 2003 में प्रत्यर्पण संधि के तहत उसे पुतर्गाल से भारत लाया गया था और उसके खिलाफ 9 आपराधिक मामले भारत में चलाए जाने थे।

याचिका में कहा गया है कि भोपाल पुलिस ने प्रत्यर्पण संधि का उल्लंघन करते हुए उसके खिलाफ हत्या व षड्यंत्र का दसवां आपराधिक मुकदमा दर्ज किया है, जो दोनों देशों के बीच तय हुई प्रत्यर्पण शर्तो का खुला उल्लंघन है व अवैधानिक भी।

याचिका में कहा गया है कि प्रत्यर्पण शर्तो के अनुसार, उसके खिलाफ मुंबई में दो, दिल्ली में चार तथा सीबीआई के द्वारा तीन आपराधिक मामले चलाए जाने थे। भोपाल के परवलिया सड़क पुलिस थाने में वर्ष 2002 में दर्ज हत्या के मामले में उसे आरोपी बनाया गया। भोपाल जिला कोर्ट ने उसके खिलाफ 15 जनवरी को प्रोटेक्शन वारंट जारी किया था।

अधिवक्ता भूपेंद्र तिवारी और पुष्पेंद्र दुबे ने बताया है कि भोपाल जिला कोर्ट द्वारा जारी प्रोटेक्शन वारंट पर मुंबई की टाडा ने रोक लगा दी थी। याचिका की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की तरफ से पेश जवाब में कहा गया था कि भोपाल पुलिस ने प्रत्यर्पण संधि से पहले अबू सलेम व अन्य के खिलाफ यह मामला दर्ज किया था।

याचिकाकर्ता की तरफ से पैरवी करते हुए दलील दी गई कि सीबीआई ने एक मामले की जांच के बाद अबू सलेम के खिलाफ टाडा की धारा लगाई थी। प्रत्यर्पण संधि के कारण सीबीआई को उन धाराओं को हटाने के लिए दोबारा सुप्रीम कोर्ट की शरण लेनी पड़ी थी।

याचिका की सुनवाई के दौरान एटार्नी जनरल ऑफ इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि अबू सलेम के खिलाफ प्रत्यार्पण संधि के तहत सिर्फ नौ अपराधिक मामलों की सुनवाई देश के विभिन्न कोर्टों में होगी तथा उसके खिलाफ अन्य मामले वापस ले लिए जाएंगे।

और पढ़ें: पाकिस्तान ने भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को पत्नी से मिलने की इजाजत दी

Source : IANS

gangster Double Murder Case abu salem Jabalpur High Court bhopal
Advertisment
Advertisment
Advertisment