मध्य प्रदेश का असद खान बना अथर्व त्यागी, जानें किस बात से आहत होकर अपनाया सनातन धर्म

असद खान, जो सागर के मकरोनिया क्षेत्र का रहने वाला है, धर्म परिवर्तन के लिए बनारस पहुंचा. वहां अस्सी घाट पर पंडितों की उपस्थिति में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ धार्मिक अनुष्ठान संपन्न हुए.

असद खान, जो सागर के मकरोनिया क्षेत्र का रहने वाला है, धर्म परिवर्तन के लिए बनारस पहुंचा. वहां अस्सी घाट पर पंडितों की उपस्थिति में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ धार्मिक अनुष्ठान संपन्न हुए.

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Dheeraj Sharma
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Atharva Tyagi

मध्य प्रदेश के सागर जिले से सामने आए एक मामले ने चर्चा को जन्म दिया है, जहां एक युवक ने इस्लाम धर्म छोड़कर हिंदू धर्म अपनाने का निर्णय लिया है. धर्म परिवर्तन से पहले युवक का नाम असद खान था, जबकि अब उसने अपना नया नाम अथर्व त्यागी रखा है.  युवक ने उत्तर प्रदेश के वाराणसी (बनारस) जाकर पूरे वैदिक विधि-विधान के साथ सनातन धर्म में प्रवेश किया. लेकिन असद अचानक क्यों बन गया अथर्व त्यागी, ऐसा क्या हुआ जिसने असद को सनातन धर्म की ओर प्रेरित किया? आइए जानते हैं इन सवालों के जवाब. 

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बनारस में विधिवत हुई धर्म वापसी

असद खान, जो सागर के मकरोनिया क्षेत्र का रहने वाला है, धर्म परिवर्तन के लिए बनारस पहुंचा. वहां अस्सी घाट पर पंडितों की उपस्थिति में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ धार्मिक अनुष्ठान संपन्न हुए. सबसे पहले पंचगव्य स्नान और इसके बाद गंगा स्नान कर शुद्धिकरण किया गया. इसके उपरांत युवक का मुंडन संस्कार कराया गया और हवन-पूजन संपन्न हुआ.

धार्मिक प्रक्रिया के अगले चरण में वह काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंचा, जहां बाबा विश्वनाथ के दर्शन कर शिवलिंग का अभिषेक किया. शाम के समय वह गंगा आरती में भी शामिल हुआ. अंत में भंडारे के साथ उसकी वैदिक रीति से घर वापसी की गई, जिसके बाद उसने औपचारिक रूप से हिंदू धर्म स्वीकार कर लिया.

इस्लाम त्यागने की वजह बताई

अब अथर्व त्यागी कहलाने वाले युवक ने अपने फैसले के पीछे की वजह भी साझा की है. उनका कहना है कि वे लंबे समय से इस्लाम धर्म में मौजूद कुछ धार्मिक मान्यताओं और सामाजिक बंधनों से असहज महसूस कर रहे थे. मूर्ति पूजा का विरोध, खान-पान को लेकर सख्ती और कुछ धार्मिक नियमों ने उन्हें मानसिक रूप से परेशान किया.

अथर्व का कहना है कि उनके मन में शुरू से ही भगवान महाकाल के प्रति गहरी आस्था रही है, लेकिन पारिवारिक और सामाजिक दबाव के कारण वे कभी खुलकर अपनी भावनाएं व्यक्त नहीं कर पाए. मूर्ति पूजा करने से रोका जाना उन्हें भीतर से व्यथित करता था.

बांग्लादेश में हिंदुओं की हत्या से आहत

यही नहीं अथर्व की मानें तो बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार ने भी उसे आहत कर दिया और सनातन धर्म की ओर प्रेरित किया. इसके बाद उन्होंने काशी आकर ब्राह्मणों की देख रेख में अपना धर्म परिवर्तन करने का फैसला लिया. 

आत्मिक शांति और नई पहचान

युवक ने स्पष्ट किया कि धर्म परिवर्तन का फैसला उसने किसी दबाव या लालच में नहीं, बल्कि पूरी तरह अपनी इच्छा और आस्था के आधार पर लिया है. उनका कहना है कि सनातन धर्म अपनाने के बाद उन्हें आत्मिक शांति और मानसिक संतुलन का अनुभव हो रहा है.

धर्म परिवर्तन के साथ ही उन्होंने अपना नाम बदलकर अथर्व त्यागी रखा, जिसे वे अपने जीवन की नई शुरुआत और नई पहचान के रूप में देखते हैं. सागर से बनारस तक का यह आस्था से जुड़ा सफर अब स्थानीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गया है.

पेशे से इंजीनियर है अथर्व

असद से अथर्व बना युवक पेशे से सिविल इंजीनियर है. 33 वर्षीय असद ने सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद ठेकेदारी शुरू की. लेकिन उसका मन शुरू से ही हिंदू धर्म की ओर से रहा और आखिरकार उसने अपने मन की सुनी और सनातन को अपना लिया. 

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