एमपी में फिलहाल अटकी निगम मंडलों और बीजेपी कार्यकारिणी में नियुक्तियां
मध्य प्रदेश में विधानसभा के उप-चुनाव के नतीजे आने के बाद संभावना जताई जा रही थी कि निगम-मंडलों में नियुक्तियों के साथ प्रदेश कार्यकारिणी का विस्तार हो जाएगा, मगर फिलहाल यह मामला अटक गया है.
भोपाल:
मध्य प्रदेश में विधानसभा के उप-चुनाव के नतीजे आने के बाद संभावना जताई जा रही थी कि निगम-मंडलों में नियुक्तियों के साथ प्रदेश कार्यकारिणी का विस्तार हो जाएगा, मगर फिलहाल यह मामला अटक गया है. इसका कारण किसान आंदोलन और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नडडा के कोरोना संक्रमित होना माना जा रहा है.
राज्य में विधानसभा के उप-चुनाव के नतीजे आए एक माह से ज्यादा का वक्त गुजर गया है. लगातार मंत्रिमंडल विस्तार से लेकर निगम-मंडलों और भाजपा की प्रदेश कार्यकारिणी में नियुक्तियों की चर्चाएं जोरों पर है.
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा, राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया और प्रदेश के संगठन महामंत्री सुहास भगत के बीच बैठकें भी हो चुकी है. इसके साथ ही शर्मा का दिल्ली दौरा भी हो चुका है. इसके चलते कयास लगाए जा रहे थे कि जल्द ही निगम-मंडलों के साथ भाजपा की कार्यकारिणी में नियुक्तियां कर दी जाएंगी.
पार्टी सूत्रों का कहना है कि सत्ता और संगठन के संदर्भ में बड़े फैसले प्रस्तावित थे, मगर किसान आंदोलन के जोर पकड़ने के कारण भाजपा द्वारा कृषि कानूनों के समर्थन में राज्य मे जन-जागरण अभियान चलाया जा रहा है. इस वजह से सत्ता और संगठन बड़ा फैसला लेने के पक्ष में नहीं है. वैसे संभावना इस बात की है कि निगम-मंडल और भाजपा की प्रदेश कार्यकारिणी से पहले मंत्रिमंडल का विस्तार हो सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि दो पूर्व मंत्री विधानसभा का उप-चुनाव जीते हैं. वहीं तीन मंत्री चुनाव हार गए हैं. एक पद पहले से रिक्त है, कुल मिलाकर छह मंत्रियों को शपथ दिलाई जानी है.
ज्ञात हो कि राज्य में विधानसभा की सदस्य संख्या के आधार पर अधिकतम 34 मंत्री बनाए जा सकते हैं. वर्तमान में 28 मत्री हैं. इस तरह छह मंत्री और बनाए जा सकते हैं. बिना विधायक के छह माह का कार्यकाल पूरा होने पर गोविंद सिंह राजपूत और तुलसी राम सिलावट को इस्तीफा देना पड़ा था. वहीं इमरती देवी, गिरराज दंडोतिया और एंदल सिंह कंसाना मंत्री रहते उप-चुनाव हार गए हैं.
राज्य के भाजपा संगठन की कमान संभाले शर्मा के नौ माह का कार्यकाल बीत चुका है. इस अवधि में पांच महा मंत्रियों- भगवानदास सबनानी, शारदेंदु तिवारी, रणवीर सिंह रावत, कविता पाटीदार और हरिशंकर खटीक की नियुक्ति की थी, उसके बाद से ही नई कार्यसमिति के गठन की कोशिशें जारी है. इसके अलावा राज्य में हुए सत्ता बदल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले 25 पूर्व विधायकों को भाजपा ने उम्मीदवार बनाया था, इसके चलते भाजपा में असंतोष भी पनपा था. इसके चलते पार्टी संगठन और सत्ता ने ऐसे लोगों को निगम मंडलों में समयोजित करने का वादा किया था. इन लोगों को जिम्मेदारी देने के लिए मंथन का दौर जारी है.
भाजपा के सूत्रों की मानें तो आगामी समय में नगरीय निकाय के चुनाव के लिए आरक्षण की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, जल्द ही चुनाव की तारीखों का भी ऐलान हेा सकता है, इसलिए भाजपा संगठन और मुख्यमंत्री जल्द किसी तरह का विस्तार करने के मूड में नहीं हैं. वहीं दूसरी ओर किसान आंदोलन चल रहा है और पार्टी प्रमुख भी अस्वस्थ है, इस वजह से मंत्रिमंडल का विस्तार और नियुक्तियां होने में वक्त लग सकता है.
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