महिला ने CJI को ख़ून से ख़त लिखकर मांगा इंसाफ़, कहा देश के कानून के तहत मिले न्याय, ट्रिपल तलाक़ पर नहीं है भरोसा

महिला ने कहा, जिससे उसकी और उनकी चार साल की बेटी की जिंदगी बर्बाद होती है, वैसे क़ानून के ख़त्म कर देना चाहिए।

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Deepak Kumar
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महिला ने CJI को ख़ून से ख़त लिखकर मांगा इंसाफ़, कहा देश के कानून के तहत मिले न्याय, ट्रिपल तलाक़ पर नहीं है भरोसा

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मध्यप्रदेश की एक मुस्लिम महिला ने ट्रिपल तलाक़ के मामले में सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस टीएस ठाकुर को ख़ून से पत्र लिखकर इंसाफ़ मांगा है। महिला ने चिट्ठी में लिखा है कि या तो उसे तलाक़ के मामले में इंसाफ़ दिया जाए या फिर उसे मरने की इजाज़त दे दी जाए।

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आइये आपको अब पूरी कहानी विस्तार से समझाते हैं। ये महिला मध्यप्रदेश के देवास की रहने वाली है, इसने अपने पति पर दहेज़ को लेकर प्रताड़ित करने और मौखिक तालाक देकर दूसरी शादी करने का आरोप लगाया है।

शबाना ने शिकायत करते हुए चिठ्ठी में लिखा है कि नर्सिंग का कोर्स करने के बाद वह नौकरी करना चाहती थी लेकिन उसका पति ऐसा नहीं चाहता था। वो चाहता था कि शबाना नौकरी के बजाय खेतों में काम करे।

इसी बात को लेकर शबनम का पति अक्सर उसके साथ मारपीट करता था और दहेज़ भी मांगता था। शबनम की शादी हाटपिपलिया के रहने वाले टीपू से 25 मई, 2011 को मुस्लिम रीति-रिवाज के साथ हुई थी।

उन दोनों की एक चार साल की बेटी भी है। हालांकि टीपू ने उसे तीन बार तलाक का नोटिस भेजकर 16 नवंबर, 2016 को दूसरी शादी कर ली।

शबाना ने सीजेआई को लिखी चिट्ठी में ट्रिपल तलाक़ कानून को खत्म करने की मांग की है। महिला ने कहा, जिससे उसकी और उनकी चार साल की बेटी की जिंदगी बर्बाद होती है, वैसे क़ानून के ख़त्म कर देना चाहिए।

शबाना ने बताया कि उसके पति ने मौखिक रूप से तलाक दे दिया और मुझे और मेरी बच्ची को छोड़ दिया। महिला ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को लिखे अपने पत्र में कहा कि मैं तीन तलाक के सख्त खिलाफ़ हूं, अब मुझे देश के कानून के तहत न्याय मिले।

ऐसे पर्सनल लॉ को मैं नहीं मानती, जिससे मेरी और मेरी बेटी का भविष्य खराब हो गया है। मुझे अपने देश के कानून पर पूरा भरोसा है। यह मेरी, मेरी बच्ची और ऐसे कई बहन और बच्चों की लड़ाई हैं, जिन्हें इस तरह से छोड़ दिया जाता हैं।

Source : News Nation Bureau

Muslim Personal Law Board Supreme Court affidavit on three talaq
      
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