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बच्चे के सिर में चार इंच तक धंसा तीर सर्जरी के जरिये निकाला गया

डॉक्टरों ने यहां शासकीय महाराजा यशवंतराव चिकित्सालय (एमवायएच) में जटिल सर्जरी के जरिए तीन वर्षीय बच्चे के सिर में धंसा तीर निकालकर उसकी जान बचायी. तीर उस पर किसी अज्ञात हमलावर ने चलाया था.

Updated on: 04 Feb 2020, 03:37 PM

इंदौर:

डॉक्टरों ने यहां शासकीय महाराजा यशवंतराव चिकित्सालय (एमवायएच) में जटिल सर्जरी के जरिए तीन वर्षीय बच्चे के सिर में धंसा तीर निकालकर उसकी जान बचायी. तीर उस पर किसी अज्ञात हमलावर ने चलाया था. एमवायएच के न्यूरोसर्जरी विभाग के सर्जन राकेश गुप्ता ने मंगलवार को "पीटीआई-भाषा" को बताया कि डॉक्टरों की आठ सदस्यीय टीम द्वारा हाल ही में किये गये ऑपेरशन के दौरान तीन वर्षीय बच्चे के सिर में धंसा तीर निकाला गया.

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उन्होंने बताया, "मरीज आदिवासी बहुल अलीराजपुर जिले का रहने वाला है. किसी अज्ञात हमलावर ने बृहस्पतिवार रात उस पर नजदीक से तीर चलाया था. तीर के आगे का नुकीला हिस्सा उसके सिर में लगभग चार इंच की गहराई तक धंस गया था." गुप्ता ने बताया कि वारदात के बाद अलीराजपुर के एक अस्पताल में बच्चे के सिर में धंसा तीर निकालने की कोशिश की गयी.

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लेकिन इस असफल कवायद में तीर का बांस वाला पीछे का हिस्सा टूट गया और इसके आगे का लोहे का नुकीला हिस्सा उसके सिर में ही धंसा रह गया. उन्होंने बताया, "बच्चे को बेहद गंभीर हालत में अलीराजपुर से एमवायएच लाया गया था. अगर उसके सिर में धंसा तीर जरा-सा हिल जाता, तो उसके मस्तिष्क की बेहद नाजुक नसों को नुकसान पहुंच सकता था और अधिक खून बहने के कारण उसकी जान को खतरा हो सकता था."

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गुप्ता ने बताया कि सर्जरी के बाद बच्चे की हालत अब खतरे से बाहर है. जानकारों ने बताया कि वक्त के तमाम बदलावों के बावजूद पश्चिमी मध्यप्रदेश के आदिवासी विवाद और रंजिश की स्थिति में आज भी एक-दूसरे पर तीर-कमान से हमला कर देते हैं. इन विवादों में घायल होने के बाद वे अपने शरीर में धंसे तीर के साथ अक्सर एमवायएच पहुंचते हैं जहां सर्जरी के जरिये इस नुकीले हथियार को उनके जिस्म से बाहर निकाला जाता है.