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ग्वालियर में भितरवार इलाके के बेलगढ़ा थाने में एक किसान की मौत से पुलिस पर एक बार फिर सवालिया निशान खड़े हो गए हैं. शनिवार को किसान सुरेश रावत की उस समय मौत हो गई, जब मारपीट के मामले में पुलिस ने उसे लॉकअप में बंद कर दिया था. शाम के समय थाना स्टाफ उसे लेकर भितरवार स्वास्थ्य केंद्र पहुंचा, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. दरअसल, बेलगढ़ा थाने के बाजना गांव निवासी सुरेश रावत का गांव के ही शाक्य परिवार से विवाद हो गया था. जिसके बाद पुलिस ने सुरेश पर मारपीट और हरिजन एक्ट की धाराओं के तहत मामला दर्ज कर उसे घर से पकड़ कर हवालात में बंद कर दिया था. सुबह स्वस्थ अवस्था में थाने पहुंचा सुरेश मृत अवस्था में निकला.
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परिजनों ने थाना स्टाफ पर मारपीट से हत्या और रिश्वत मांगने के आरोप लगाए हैं. जाम और पुलिस के खिलाफ आक्रोश को देखते हुए आसपास के सभी थानों का बल भितरवार पहुंच गया और परिजनों को समझाने का प्रयास किया. घटना की गंभीरता को देखते हुए ग्वालियर पुलिस कप्तान नवनीत भसीन को भितरवार आना पड़ा. उन्होंने कार्रवाई करते हुए 1 ASI, 2 हवलदार और 3 सिपाहियों पर हत्या का केस दर्ज कर उन्हें निलंबित कर दिया है.
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यह कोई पहला मामला नहीं है, जब पुलिस की हिरासत में निर्दोष की मौत हुई हो. इससे पहले और भी कई मामले सामने आ चुके हैं. हालांकि पुलिस का यह भी कहना है कि किसान ने खुदकुशी की है जो कि सीसीटीवी में रिकॉर्ड हुई है. लेकिन थाने की वीडियो फुटेज अभी तक पुलिस ने मीडिया को उपलब्ध नहीं कराई है. सुरेश की मौत किन कारणों के चलते हुई यह तो जांच के बाद ही पता चल सकेगा. पर इस घटना से पुलिस की कार्यप्रणाली पर एक बार फिर सवालिया निशान खड़े हो गए हैं.
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