मध्य प्रदेश सरकार की कर्जमाफी योजना में सहकारी बैंकों की बड़ी गड़बड़ी सामने आई है. पिंक आवेदनों में साढ़े पांच हजार किसानों ने खुद बताया है कि उन पर बैंकों का कोई कर्ज नहीं, जबकि जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों समेत बड़े राष्ट्रीयकृत बैंकों की सूची में इन किसानों के नाम पर लोन चढ़ा हुआ है. सबसे ज्यादा मामले ग्वालियर के हैं. ग्वालियर में कुल 1232 बोगस केस सामने आए हैं. इसमें 1138 प्रकरण जिला केंद्रीय सहकारी बैंक के हैं. हरदा, दतिया, छतरपुर और रीवा में भी बड़ी संख्या में ऐसे मामले सामने आए हैं.
यह भी पढ़ेंः मध्य प्रदेश : कर्जमाफी घोटाला पर बोले सीएम कमलनाथ कहा, 3000 करोड़ का है स्कैम
इनमें जिला सहकारी बैंकों (DCB) के साथ यूको बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब नेशनल बैंक, नर्मदा झाबुआ ग्रामीण बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, मध्यांचल ग्रामीण बैंक, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया भी शामिल हैं.
यह भी पढ़ेंः मध्य प्रदेश: कर्जमाफी प्रक्रिया के दौरान आईं 25 हजार शिकायतें, फ़र्ज़ी तरीके से कर्ज लेने के खिलाफ कार्रवाई का फैसला
कर्जमाफी स्कीम में भोपाल से एक ही पिंक आवेदन भरा गया और वो भी जिला सहकारी बैंक का है. सतना के 20 में से 20 मामले सहकारी बैंक के हैं. रायसेन में 23 केस पंजाब नेशनल बैंक के, पन्ना में 13 मामले एसबीआई के. छतरपुर-दतिया में एसबीआई के 18-18, दतिया में पीएनबी के 18 और ग्वालियर में 87 केस एसबीआई के हैं.
यह भी पढ़ेंः मध्य प्रदेश में कर्जमाफी के नाम पर माफ हुआ 13 रुपये, कर्ज था 24000 रुपये
बता दें राज्य में चुनाव से पहले कांग्रेस ने वचन पत्र जारी कर सत्ता में आने पर किसानों का दो लाख तक का कर्ज माफ करने का वादा किया था. मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते ही कमलनाथ ने कर्ज माफी की फाइल पर हस्ताक्षर किए थे. उसके बाद सरकार ने किसानों से आवेदन भरवाए और 22 फरवरी से कर्ज माफी की रकम किसानों के खातों में जाना शुरू हो गई. राज्य में 50 लाख किसानों का 55 हजार का कर्ज माफ होना है.
Source : News Nation Bureau