मध्य प्रदेश के प्रत्येक विकासखंड में एक आंगनवाड़ी केंद्र को बाल शिक्षा केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है. राज्य के 313 विकासंखडों में आज से बाल शिक्षा केंद्रों की शुरुआत हो गई है. आज से 313 आंगनबाड़ी केंद्रों को नर्सरी स्कूलों की तरह बनाया जा रहा है. राज्य की महिला एवं बाल विकास मंत्री इमरती देवी आज सुबह ग्वालियर में इस योजना का औपचारिक उद्घाटन किया. इस योजना के पीछे सरकार का मकसद ये है कि स्कूल में दाखिला जलाने से पहले बच्चों को खेल-खेल में नर्सरी की पूरी शिक्षा दी जाए. अभी तक आंगनबाड़ी केंद्रों को केवल पोषण आहार के केंद्र के तौर पर देखा जाता है. अब प्रदेश के 313 आंगनबाड़ी केंद्र ऐसे होंगे, जहां वाटर कूलर, एसी और बैठने के इंतजाम प्राइवेट स्कूलों की तरह बनाए जा रहे हैं.
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ग्वालियर में हजीरा के पास रेशम मिल इलाके में कार्यक्रम का शुभारंभ करने पहुंची मंत्री इमरती देवी ने कहा कि इस तरह के आंगनबाड़ी केंद्रों में अब अधिकारी और बड़े लोगों भी अपने बच्चों को पढ़ाना चाहिए. प्रदेश के हर ब्लॉक में एक मॉडल आंगनबाड़ी बाल शिक्षा केन्द्र बनाई जा रही है. इनमें फिसलपट्टी, झूले और बच्चों के लिए खेलने का पार्क भी है. खास बात ये है कि यहां सब कुछ निशुल्क रहेगा.
सरकार की तरफ से जारी बयान के अनुसार, बाल शिक्षा केन्द्रों के माध्यम से प्रदेश में शासकीय एवं निजी क्षेत्रों में छह वर्ष उम्र तक के बच्चों के समुचित विकास के लिए प्री-प्राइमरी संस्थाओं का नियमन, निगरानी एवं मूल्यांकन संभव होगा. प्रदेश स्तर पर भी शाला पूर्व शिक्षा नीति तथा नियामक दिशा-निर्देश बनाए जा रहे हैं. बयान के अनुसार, आंगनवाड़ी केन्द्रों में आने वाले तीन से छह वर्ष तक के बच्चों के लिए 19 विषय का माहवार पाठ्यक्रम निर्धारित किया गया है. बाल शिक्षा केन्द्र में तीन से छह वर्ष तक के बच्चों के आयु समूह के अनुसार तील एक्टीविटी वर्क बुक तैयार की गई है. बच्चों के विकास की निगरानी के लिए शिशु विकास कार्ड बनाए गए हैं.
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बाल शिक्षा केन्द्र में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए बच्चों को वर्षभर कराई जाने वाली गतिविधियों का संकलन तथा मासिक तथा साप्ताहिक कैलेण्डर की जानकारी उपलब्ध कराई गई है. इसके तहत तीन से छह वर्ष के बच्चों के विकास का अवलोकन करने के लिए आयु समूह के अनुसार शिशु विकास कार्ड बनाए गए हैं. बयान में कहा गया है कि बच्चों को आकर्षित करने के लिए आंगनवाड़ी बाल शिक्षा केन्द्र में रंग-बिरंगी साज-सज्जा की जाएगी. कक्ष में दीवारों पर चार्ट, पोस्टर, कटआउट आदि लगाए जाएंगे. इसके साथ ही बच्चों द्वारा बनाई गई सामग्री का भी प्रदर्शन किया जाएगा. बच्चों के खेलने के लिए अलग-अलग कोने जैसे गुड़िया घर का कोना, संगीत का कोना, कहानियों का कोना, विज्ञान एवं पर्यावरण प्रयोग का कोना आदि बनाए गए हैं.
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