मध्य प्रदेश में ऐसा लगता है जैसे बच्चों के मामले में प्रदेश अब बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं रहा है. कभी मासूम बच्चियों के साथ बलात्कार में राज्य नंबर एक की पोजिशन पहुंच गया तो कभी बच्चों के अपहरण में. सरकार कोई भी हो मगर बच्चे लापता होने का सिलसिला थम नहीं रहा है. राज्य में बच्चों के लापता होने को लेकर ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट के चौंकाने वाले और हैरान करने देने वाले आंकड़े सामने आए हैं. ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले तीन सालों में 1500 से ज्यादा बच्चे लापता हुए हैं.
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ये आंकड़े साल 2017, 2018 और 2019 के हैं और आंकड़े सिर्फ प्रदेश की राजधानी भोपाल के हैं. इन तीनों सालों में 1500 से ज्यादा बच्चे लापता हुए हैं. आलम है कि जिसमें से 118 बच्चे ऐसे हैं जो आज तक अपने घर नहीं आए. अभी भी कई बच्चों को सोशल मीडिया की मदद से ढूंढा जा रहा है, लेकिन उनका कोई सुराग तक पुलिस के पास नहीं है.
ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट के आंकड़ों पर नजर डालें तो
- सिर्फ राजधानी भोपाल में ही साल 2017 में 518 बच्चों का अपहरण हुआ. जिसमें से 28 बच्चों का आज तक सुराग नहीं मिला.
- साल 2018 में कुल 623 बच्चों का अपहरण हुआ. जिसमें से 35 बच्चों को ढूंढने में पुलिस नाकाम साबित हुई है.
- साल 2019 यानि नई सरकार आने के बाद अब तक 372 बच्चों का अपहरण हो चुका है. जिसमें से 55 बच्चे अभी तक अपने घर वापस नहीं लौटे हैं.
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इन्हीं आंकड़ों से अंदाजा लगाया जा रहा है कि पिछले तीन सालों में किस कदर राज्य की सरकारें और उसकी कानून व्यवस्था फेल साबित हुई है. सरकार कोई भी हो मगर बच्चे लापता होने का सिलसिला थम नहीं रहा है. राज्य में भले ही सत्ता का परिवर्तन हो गया हो, लेकिन बच्चों के अपहरण की घटनाएं रुकी नहीं हैं. इन आंकड़ों से पुलिस की नाकामी भी स्पष्ट जाहिर होती है कि पुलिस लापता बच्चों को ढूंढने में असफल है.
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