युवक ने फैलाई आईएएस परीक्षा पास करने की झूठी खबर, सीएम ने भी कर दिया सम्मानित

युवक ने अपनी कामयाबी की फर्जी खबर को पूरे राज्य में फैलाया और करीब एक दर्जन से ज्यादा जगहों पर जाकर सम्मानित भी हुआ. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के हाथों से भी सम्मान हासिल किया और उनके साथ रात्रि भोज में भी शामिल हुआ.

युवक ने अपनी कामयाबी की फर्जी खबर को पूरे राज्य में फैलाया और करीब एक दर्जन से ज्यादा जगहों पर जाकर सम्मानित भी हुआ. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के हाथों से भी सम्मान हासिल किया और उनके साथ रात्रि भोज में भी शामिल हुआ.

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Rashmi Rani
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यूपीएससी की सिविल सर्विस परीक्षा( Photo Credit : फाइल फोटो )

झारखंड के युवक द्वारा यूपीएससी की सिविल सर्विस परीक्षा में सफल होने की फर्जी खबर फैलाकर सम्मानित होने का मामला सामने आया है. युवक ने अपनी कामयाबी की फर्जी खबर को पूरे राज्य में फैलाया और करीब एक दर्जन से ज्यादा जगहों पर जाकर सम्मानित भी हुआ. इससे भी बड़ी चौंकाने वाली बात ये है कि इस युवक ने झारखंड सरकार की ओर से आयोजित यूपीएससी के सफल अभ्यर्थियों के अभिनंदन समारोह में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के हाथों से भी सम्मान हासिल किया और उनके साथ रात्रि भोज में भी शामिल हुआ. चलिए आपको बताते हैं कि इस युवक ने ऐसा किया कैसे.

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दरअसल कुमार सौरभ उर्फ सौरभ पांडेय नाम के इस युवक ने यूपी के एक सफल अभ्यर्थी के हमनाम होने का फायदा उठाया और दो महीने तक सोसायटी से लेकर सरकार तक भ्रमजाल फैलाता रहा. यूपीएससी 2021 की परीक्षा में सफल अभ्यर्थियों की सूची में 357वां रैंक यूपी के कुमार सौरभ ने हासिल किया है. उन्हें कहीं से जानकारी मिली कि उनके नाम पर एक युवक झारखंड में राजकीय समारोह में सम्मानित हुआ है. तब इस मामले का सच सामने आया.

दरअसल पलामू के पांडू प्रखंड का रहने वाले सौरभ पांडेय भी यूपीएससी की तैयारी कर रहा था, लेकिन वह सफल नहीं हो पाया. गत 30 मई को रिजल्ट आया तो उसने खुद के सफल होने की खबर फैला दी. उसने यूपीएससी मुख्यालय के पास सूट टाई वाली अपनी फोटो भी कई जगहों पर शेयर कर दी थी.

दरअसल, सौरभ पांडेय पिछले कुछ दिनों से समाज में कई लोगों से यह कहता फिर रहा था कि उसका रैंक ठीक नहीं आया. इस कारण इस बार नौकरी ज्वाइन नहीं करेगा. वह फिर से तैयारी में जुटा है और पूरा प्रयास कर रहा है कि अगली बार अच्छा रैंक ले आए.

जब मीडिया कर्मियों ने सौरभ से उसके यूपीएससी पास करने और उसके एडमिट कार्ड के बारे में जानकारी मांगी तो उसने स्वीकार कर लिया कि परीक्षा में असफल हो जाने पर उसने सामाजिक प्रतिष्ठा के लिए अपने पास हो जाने की झूठी खबर फैलायी थी. झारखंड सरकार ने भी मीडिया में छपी रिपोर्ट के आधार पर उसे सम्मानित कर दिया था.

Source : IANS

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