गुमला की महिलाओं को जिल्लत भरी जिंदगी से मिली राहत, एक पहल ने बदला जीवन

गुमला जिला प्रशासन की एक छोटी पहल से मरुआ के विभिन्न उत्पादों से आज सैकड़ों महिलाओं को आसानी से रोजगार मिल गया है.

गुमला जिला प्रशासन की एक छोटी पहल से मरुआ के विभिन्न उत्पादों से आज सैकड़ों महिलाओं को आसानी से रोजगार मिल गया है.

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Vineeta Kumari
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महिलाओं को जिल्लत भरी जिंदगी से मिली राहत( Photo Credit : News State Bihar Jharkhand)

गुमला जिला प्रशासन की एक छोटी पहल से मरुआ के विभिन्न उत्पादों से आज सैकड़ों महिलाओं को आसानी से रोजगार मिल गया है, जिसे ना केवल राज्य स्तर पर सराहना मिल रही है बल्कि भारत सरकार के सचिव स्तर के पदाधिकारी राहुल शर्मा ना केवल इसकी प्रशंसा कर रहे हैं बल्कि इसे राष्ट्रीय स्तर पर एक उदाहरण मान रहे हैं. गुमला जिला के उपायुक्त सुशांत गौरव की एक सकारात्मक सोच ने जिला की 400 से अधिक महिलाओं को ना केवल पलायन और हड़िया दारू बेचने की जिल्लत भरी जिंदगी से राहत दी है. उनके लिए एक बेहतर जीवन जीने का विकल्प भी प्रदान कर दिया है. दरअसल, जिला के उपायुक्त सुशांत गौरव जब ग्रामीण क्षेत्रों का दौरा करते थे, तो उन्होंने पाया कि ग्रामीण क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर लोग मरुआ की उपज करते हैं, लेकिन बाजार की सही व्यवस्था नहीं होने से उन्हें उसका लाभ नहीं मिलता था.

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उसके बाद उन्होंने झारखण्ड सरकार के जेएसएलपीएस के माध्यम से मरुआ का आटा और इसका लड्डू बनाने के कार्य को शुरू किया, जो आज कई महिलाओं के लिए रोजगार का बेहतर संसाधन बना हुआ है. इस प्रोसेसिंग यूनिट को देखने के लिए भारत सरकार के सचिव व नीति आयोग के गुमला जिला प्रभारी राहुल शर्मा भी देखने आए और इसकी जमकर प्रशंसा की.

सचिव भारत सरकार सह नीति आयोग मेंबर

गुमला जिला मुख्यालय के बाजार समिति परिसर में बेकार पड़ी एक गोदाम को जिला प्रशासन ने ठीक ठाक करवाकर यहां उत्पादन शुरू किया. आज यहां ना केवल मडुआ के आटा व लड्डू बल्कि कई समान बनाये जाते हैं. इससे जुड़ी महिला अनिता देवी ने कहा कि पहले भी वे बनाते थे, लेकिन बाजार सही नहीं था. अभी प्रशासनिक पहल से बेहतर तस्वीर बन पायी है. वहीं महिलाओं की मानें तो अब उन्हें भी मरुआ का महत्व पता चल रहा है.

मरुआ उत्पादन से जुड़ी महिला गुमला

वहीं, ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं की मानें तो मरुआ के उत्पादन को वे कभी गंभीरता से नहीं लेती थी. बस जिस जमीन में कुछ नहीं होता था. वहां मरुआ की खेती किया करती थी, लेकिन अब जिस तरह से इसका महत्व पता चल रहा है. उसके बाद वे और अधिक से अधिक जमीन पर इसकी खेती करना चाहेगी. वहीं, महिलाओं की मानें तो इलाके में रोजगार की अभाव में पलायन करने या फिर हड़िया दारू बेचना उनकी नियति थी. इस उत्पादन से जुड़कर उनका जीवन सम्मानपूर्ण जीवन की ओर जा रहा है. उनकी मानें तो सरकार मदद करें तो अधिक से अधिक जमीन पर मरुआ की खेती करेंगी.

HIGHLIGHTS

  • महिलाओं को जिल्लत भरी जिंदगी से मिली राहत
  • एक पहल ने बदल दी सैकड़ों की जिंदगी
  • मिला बेहतर जीवन जीने का विकल्प

Source : News State Bihar Jharkhand

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