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पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास को क्यों नहीं मिला राज्यसभा का टिकट? जानिए 4 बड़े कारण

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास को राज्यसभा का टिकट मिलते-मिलते रह गया. सबसे प्रबल दावेदार होने के बावजूद रघुवर दास के राज्यसभा जाने की राह में ऐन वक्त पर क्यों अड़ंगा लगा?

Updated on: 13 Mar 2020, 09:35 AM

रांची:

झारखंड (Jharkhand) के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास को राज्यसभा का टिकट मिलते-मिलते रह गया. सबसे प्रबल दावेदार होने के बावजूद रघुवर दास के राज्यसभा (Rajya Sabha) जाने की राह में ऐन वक्त पर क्यों अड़ंगा लगा? आईएएनएस ने पार्टी से जुड़े कुछ नेताओं और सूत्रों से बातचीत की तो इसके पीछे चार प्रमुख वजहें सामने आई हैं. दरअसल, बुधवार को जारी हुई सूची में झारखंड से रघुवर दास का नाम गायब देखकर यह चर्चा चल निकली कि कल तक दूसरों को टिकट दिलाने और काटने वाले रघुवर दास (Raghubar Das) आज अपने ही टिकट के लिए मोहताज हो गए?

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झारखंड के भाजपा सूत्रों ने बताया कि रघुवर दास के टिकट कटने का पहला कारण है- सूबे में भाजपा की सियासत में फिर से बाबूलाल मरांडी का दौर शुरू होना. बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व के तीन बड़े फैसलों से बाबूलाल मरांडी को पार्टी में फिर वही हैसियत हासिल हो गई है, जो कभी मुख्यमंत्री बनने के दौरान और उससे पहले थी. भाजपा में नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद बाबूलाल मरांडी ने सबसे पहले अपने करीबी दीपक प्रकाश को प्रदेश अध्यक्ष बनवाया और अब फिर उन्हें राज्यसभा का टिकट भी दिलाने में सफल रहे.

इस प्रकार भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने राज्य इकाई को संदेश दिया है कि पार्टी में राज्य स्तर पर फैसले बाबूलाल मरांडी की ही सहमति से होंगे. पार्टी सूत्रों का कहना है कि रघुवर दास को अगर राज्यसभा का टिकट मिलता तो माना जाता कि पार्टी नेतृत्व मरांडी और रघुवर को समानांतर तवज्जो दे रहा है. राज्य में गैर आदिवासी कार्ड फेल होने के बाद भाजपा अब आदिवासियों के सहारे राजनीति को आगे बढ़ाना चाहती है इसलिए रणनीति के तहत बाबूलाल मरांडी के फैसलों पर मुहर लगाई जा रही.

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दूसरा कारण पार्टी के विधायकों की रघुवर से नाराजगी है. सूत्रों का कहना कि करीब एक दर्जन विधायकों ने रघुवर दास की जगह किसी दूसरे चेहरे को राज्यसभा भेजने की मांग उठाई थी. जिससे पार्टी को लगा कि रघुवर को टिकट देने पर क्रास वोटिंग हो सकती है. ये वे विधायक थे जिन्हें रघुवर सरकार में अपेक्षित तवज्जो नहीं मिलती थी.

तीसरा फैक्टर सरयू राय का बताया जाता है. सूत्रों का कहना है कि झारखंड में राज्यसभा की एक सीट जीतने के लिए पार्टी को 27 विधायक चाहिए जबकि हाथ में 26 विधायक हैं. ऐसे में निर्दलीय जीते सरयू राय का समर्थन मिल जाए तो फिर आजसू के आगे भी हाथ फैलाने की जरूरत नहीं होगी. सरयू राय से उम्मीद इसलिए भी है कि वह संघ पृष्ठिभूमि के हैं और उन्होंने भाजपा से नहीं बल्कि रघुवर दास से नाराज होकर पार्टी छोड़ी थी.

दरअसल, रघुवर दास की वजह से टिकट कटने पर सरयू राय ने ईस्ट जमशेदपुर सीट से ताल ठोककर उन्हें ही हरा दिया था. पार्टी सूत्रों का कहना है कि अगर रघुवर दास को टिकट मिलता तो फिर सरयू राय लाख कोशिशों के बाद भी उन्हें वोट नहीं देते. मगर दीपक प्रकाश को सरयू राय अपना एक अमूल्य वोट दे सकते हैं.

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रघुवर दास का टिकट कटने के पीछे चौथा कारण आजसू फैक्टर बताया जाता है. सूत्रों का कहना है कि राज्यसभा की एक सीट जीतने के लिए पार्टी के पास तीसरा विकल्प आजसू के समर्थन का है. आजसू के पास दो विधायक हैं. आजसू के समर्थन से भाजपा आसानी से राज्यसभा सीट जीत सकती है. विधानसभा चुनाव के दौरान आजसू से गठबंधन टूटने के पीछे रघुवर दास के रवैये को जिम्मेदार माना जा रहा था. सूत्रों का कहना है कि रघुवर दास के नाम पर आजसू ने समर्थन से पीछे हटने के संकेत दिए थे. ऐसे में भाजपा ने रघुवर की जगह पर दीपक प्रकाश को राज्यसभा का टिकट दिया.

झारखंड के पार्टी के एक नेता ने आईएएनएस से कहा, 'रघुवर दास को लेकर भले ही तमाम तरह की बातें हों मगर पार्टी का शीर्ष नेतृत्व उनसे नाराज नहीं है. राज्यसभा का टिकट नहीं मिला तो संभव है कि जेपी नड्डा की राष्ट्रीय टीम में उन्हें जगह मिले. पहले भी वह राष्ट्रीय टीम में काम कर चुके हैं. अमित शाह जब राष्ट्रीय अध्यक्ष बने थे तो उन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी मिली थी.'

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