धनबाद के टुंडी गांव में अब नक्सलियों का आतंक नहीं बल्कि विकास की बयार है. यहां के लोगों में अब लाल आतंक की दहशत नहीं है, आगे बढ़ने का खुमार है. युवाओं के हाथों में हथियार नहीं किताब है. यहां जर्जर पगडंडियां नहीं बल्कि पक्की सड़क है. जिस बदलाव का इंतजार सालों से ये गांव कर रहा था वो बदलाव अब हो रहा है. सालों तक लाल आतंक की चपेट में रहने वाला कोयलांचल का टुंडी गांव अब आजाद हवा में सांस ले रहा है. ये गांव धनबाद और गिरिडीह के बॉर्डर पर है, जहां नक्सलियों की पैठ जी का जंजाल बनी थी, लेकिन सुरक्षाबल और सरकार की लगातार कोशिश से यहां नक्सल गवितिधियां कम हो गई हैं. जिसका असर भी देखने को मिल रहा है. अब ये गांव विकास की मुख्यधारा से जुड़ रहा है. जिन लोगों ने भटकर हिंसा का रास्ता चुन लिया था. आज वही सरकारी योजनाओं का लाभ उठा रहे हैं.
कभी नक्सलाइट क्षेत्र के नाम से जाना जाता था टुंडी
कभी टुंडी गांव में नक्सलियों की ऐसी दहशत थी कि लोग दिन के उजाले में भी जाने को कतराते थे, लेकिन अब यहां नक्सलियों का खौफ लगभग खत्म हो चुका है. धनबाद पुलिस की ओर से जंगलों में पेट्रोलिंग और सड़कों पर कैंप लगाकर पूरे इलाके पर नजर रखी जा रही है. केंद्र और राज्य सरकार की नक्सल विरोधी मुहिम का नतीजा है कि आज टुंडी की जनता चैन की सांस ले रही है.
टुंडी में नक्सलवाद को खत्म करने के लिए सरकार ने कई योजनाएं चलाई हैं, लेकिन यहां पुलिस और सुरक्षाबल की कार्यशैली सबसे सराहनीय है. दिन रात एक कर सुरक्षाबलों ने यहां से लाल आतंक का नामो निशान खत्म करने में कोई कसर नहीं छोड़ी.
रिपोर्ट : नीरज कुमार
HIGHLIGHTS
- धनबाद के टुंडी गांव अब विकास के रास्ते पर
- कभी नक्सलियों का हुआ करता था आतंक
- आज युवा कलम और किताब उठा चुके हैं
- भटके हुए युवाओं को सुरक्षाबलों ने दिखाई राह
- पुलिस और सुरक्षाबलों के लिए मानी जा रही बड़ी कामयाबी
Source : News State Bihar Jharkhand