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फाइल फोटो( Photo Credit : फाइल फोटो)
झारखंड में मौसम की मार ने किसानों की कमर तोड़ कर रख दी है. खास कर संताल परगना का इलाका बारिश के आभाव में सूखे के चपेट में है. किसान की फसल पानी के आभाव में मर रही है. मात्र दस से पंद्रह फिसदी ही धानों की रोपाई हुई है, जो भगवान भरोसे है. राज्य सरकार मामले में गंभीर तो है, लेकिन राहत देने के मामले मे केंद्र की ओर देख रही है. ऐसे में किसान केंद्र और राज्य सरकार के बीच राहत का इंतजार है. चिंता अब फसल की नहीं बल्कि महाजनों के कर्जे अदा करने की सता रही है.
देश के कई राज्य बाढ़ और बारिश से तबाह हो रहे हैं, लेकिन झारखंड में ठीक इसके उलट है. झारखंड में बारिश नहीं होने से सुखे की स्थिति बन चुकी है. पानी नहीं होने से किसानों में मायूसी छाई हुई है. खेतों में अभी तक रोपाई नहीं हो पाई है. धान का बिचड़ा सुख कर पीले पड़ चुके हैं. किसान आकाश की ओर उम्मीद की नजरों से देख रहे हैं, लेकिन आकाश में छाने वाले बादल कुछ ही पलों में छट जाते हैं. तीन महीने की मेहनत से साल भर की कमाई का मौसम ने किसानों को चुना लगा दिया है. महाजनों से कर्ज लेकर फसल बोने वाले किसान अब अपने कर्ज के अदा करने की चिंता अंदर से खाई जा रही है. किसान सरकार को मदद करने की गुहार लगा रहे हैं.
इधर राज्य में सुखाड़ की स्थिति को लेकर प्रशासन गंभीर है. इसको लेकर प्रशासन ने इलाके में सर्वे कर आकलन करने की बात कही है. साथ ही कहा है कि इससे निपटने के लिए इलाके में रागी और दलहन की फसले लगाने के लिए बीज उपलब्ध कराने के अलावे किसानों को राहत राशि के लिए आवेदन देने की बात कही है. वहीं, शिकारीपाड़ा के स्थानीय विधायक नलिन सोरेन ने कहा कि क्षेत्र पानी के आभाव सुखाड़ हो गया है. बीज मर चुके हैं. अभी तक धान बीज की रोपाई तक नहीं हो पाई है. इसको लेकर राज्य सरकार भी गंभीर है. राज्य में जल्द सुखाड़ घोषित होनी चाहिए. वहीं, झारखण्ड के कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि मैं किसान का बेटा हूं मौसम की मार किसानों पर पड़ी है. इस विकट स्थिति में पशु, कृषि और अन्य चीजों पर सीधे प्रभाव पड़ा है. इस मामले में सरकार संवेदनशील है और इसके लिए विशेष राहत पैकेज की मांग की है. वहीं, झारखंड की हेमंत सरकार केंद्र सरकार पर आरोप लगा कर अपना पल्ला मोदी सरकार पर झाड़ रही है.
Source : News Nation Bureau