एक, दो नहीं बल्कि कई 'दशरथ मांझी', पहाड़ तोड़कर बना रहे हैं सड़क

बिहार के दशरथ मांझी की कहानी आपने जरूर सुनी होगी. जिसने पत्नी की पीड़ा को देख एक पहाड़ का सीना चीर दिया.

बिहार के दशरथ मांझी की कहानी आपने जरूर सुनी होगी. जिसने पत्नी की पीड़ा को देख एक पहाड़ का सीना चीर दिया.

author-image
Jatin Madan
New Update
dhanbad road construction

सड़क ना होने से बच्चे शिक्षा से वंचित.( Photo Credit : News State Bihar Jharakhand)

बिहार के दशरथ मांझी की कहानी आपने जरूर सुनी होगी. जिसने पत्नी की पीड़ा को देख एक पहाड़ का सीना चीर दिया. कुछ ऐसा ही करने की ठानी है धनबाद के ग्रामीणों ने. जिन्होंने बच्चों की शिक्षा में बाधा बनने वाले सीना तानकर खड़े पहाड़ को टुकड़ों में तब्दील कर दिया. हाथ में फावड़ा लिए ग्रामीणों ने ठान लिया है कि अब अड़ियल पहाड़ के घमंड को तोड़ देना है और इसे चीर कर एक रास्ता बनाना है. वो रास्ता जो ग्रामीणों को बाजार से तो जोड़ेगा ही बच्चों को उनके भविष्य से जोड़ने का काम भी करेगा.

Advertisment

धनबाद जिले के बाघमारा प्रखंड की धर्माबांध पंचायत में 2500 की आबादी वाला देवधरा गांव है, जो आज भी मुख्य बाजार से कटा हुआ है. स्कूल और बाजार तक पहुंचने का एक ही रास्ता है. जो 6-7 किलोमीटर दूर है. इतनी दूरी तय करने के लिए साइकिल या बाइक की जरूरत होती है, लेकिन सभी के पास ये साधन नहीं है. लिहाजा बच्चों को भी स्कूल जाने के लिए ये दूरी तय करनी पड़ती है. हालांकि रास्ता भी आसान नहीं है दरअसल ये रास्ता रेलवे ट्रैक के जरिए होकर गुजरता है. जिसके चलते आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती है. कई बार जनप्रतिनिधियों से अपील भी की, लेकिन कोई सुनवाई ना होने पर ग्रामीणों ने खुद ही रास्ता बनाने का संकल्प लिया और हाथ में फावड़ा लेकर निकल पड़े पहाड़ का सीना चीरने.

देवधरा गांव के लोगों की प्रेरणा ये गांव चारों तरफ जंगलों से घिरा हुआ है. यही वजह है कि ग्रामीणों को आवाजाही के लिए जद्दोजहद करना पड़ता है. बच्चे भी शिक्षा से वंचित हो जाते हैं, लेकिन अब ग्रामीणों की पहल के बाद ना तो बच्चों का भविष्य खराब होगा और ना ही बाजार तक पहुंचने में कोई परेशानी. गांव के सभी लोग करीब 12 दिनों से एक साथ मिलकर पहाड़ तोड़कर रास्ता बनाने का काम कर रहे हैं. उम्मीद है कि ये सड़क 1 महीने में तैयार हो जाएगा. सड़क बनने के बाद 6 किलोमीटर की दूरी 2 किलोमीटर तक हो जाएगी, जिससे आवाजाही में आसानी होगी.

देवधरा के लोगों की प्रेरणा भी माउंटेन मैन दशरथ मांझी ही हैं. उनकी मानें तो अगर एक शख्स 30 फुट ऊंचा पहाड़ को तोड़ सकता है तो सभी ग्रामीण मिलकर भी ये काम कर सकते हैं और ऐसा हुआ भी. ग्रामीण दिन-रात एक कर सड़क निर्माण का कार्य कर रहे हैं, लेकिन इस बीच जो बड़ा सवाल है वो ये कि अगर ग्रामीणों को खुद ही सड़क जैसी मूलभूत सुविधा के लिए श्रमदान करना पड़े तो जनप्रनितिनिधियों और अधिकारियों का फायदा ही क्या. क्योंकि जनप्रतिनिधि हो या प्रशासनिक अधिकारी इनकी जिम्मेदारी होती है कि हर क्षेत्र के लोगों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जाए.

रिपोर्ट : नीरज कुमार

यह भी पढ़ें : दलाई लामा के दौरे के बीच चीनी महिला जासूस की एंट्री से हड़कंप, स्केच जारी

HIGHLIGHTS

  • ग्रामीणों ने चीरा पहाड़ का सीना
  • पहाड़ तोड़कर बना रहे सड़क
  • सड़क ना होने से बच्चे शिक्षा से वंचित
  • जनप्रतिनिधियों से कर चुके अपील
  • सुनवाई ना होने से खुद ही तोड़ा पहाड़

Source : News State Bihar Jharkhand

Dhanbad news Dashrath Manjhi Jharkhbad News Jharkhand government
      
Advertisment