ग्रामीणों ने 7 सूत्री मांगों को लेकर नुबोको और टाटा पावर प्लांट के ट्रैक को किया जाम

टाटा पावर और नुबोको में 75% स्थानीय ग्रामीणों को प्राथमिकता देने, मूलभूत सुविधाओं की मांग को लेकर झारखंड मजदूर यूनियन के बैनर तले ग्रामीणों ने नुबोको और टाटा पावर प्लांट के लोको ट्रैक को जाम कर दिया है.

टाटा पावर और नुबोको में 75% स्थानीय ग्रामीणों को प्राथमिकता देने, मूलभूत सुविधाओं की मांग को लेकर झारखंड मजदूर यूनियन के बैनर तले ग्रामीणों ने नुबोको और टाटा पावर प्लांट के लोको ट्रैक को जाम कर दिया है.

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Vineeta Kumari
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ग्रामीणों ने नुबोको और टाटा पावर प्लांट के ट्रैक को किया जाम( Photo Credit : News State Bihar Jharkhand)

टाटा पावर और नुबोको में 75% स्थानीय ग्रामीणों को प्राथमिकता देने, मूलभूत सुविधाओं की मांग को लेकर झारखंड मजदूर यूनियन के बैनर तले ग्रामीणों ने नुबोको और टाटा पावर प्लांट के लोको ट्रैक को जाम कर दिया है. इसके साथ ही जल्द से जल्द मांगे पूरी नहीं होने की दिशा में अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन शुरू करने की चेतावनी दी है. धरना के प्रदर्शन का नेतृत्व पूर्व मंत्री दुलाल भुंइया कर रहे थे. धरना प्रदर्शन के माध्यम से उन्होंने कंपनी प्रबंधन को आड़े हाथ लिया. कंपनी प्रबंधन के ऊपर भोले-भाले ग्रामीणों व उनके परिवार के सदस्यों को विनाश की दिशा में धकेलने का आरोप लगाया. 

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ये है 7 सूत्री मांगे
मेन लाइन और कंपनी के लाइन पर रेलवे ओवरब्रिज बनाने की मांग, 75% स्थानीय ग्रामीणों को कंपनी में प्राथमिकता देने की मांग, सरकारी रेट पर मजदूरी देने की मांग समेत सात सूत्री मांग के आलोक में स्थानीय ग्रामीण महिला पुरुषों ने रेलवे लाइन को जाम कर धरना प्रदर्शन किया. वहीं जानकारी देते हुए पूर्व मंत्री दुलाल भुइयां ने कहा कि आज यह केवल आगाज है. इसके बाद भी अगर कंपनी प्रबंधन की नींद नहीं खुली तो अनिश्चितकालीन प्रदर्शन शुरू किया जाएगा. उन्होंने बताया कि कंपनी प्रबंधन स्थानीय ग्रामीणों के साथ छल कर रही है. बेवकूफ बनाकर बिना सरकारी रेट दिए उनसे मजदूरी करवाया जा रहा है.

आगे उन्होंने कहा कि आज के प्रदर्शन के माध्यम से केंद्र सरकार व राज्य सरकार समेत कंपनी का ध्यान आकृष्ट कराया जा रहा है कि किस तरह से स्थानीय ग्रामीण के बच्चे दूषित जल पीकर दिव्यांग हो रहे हैं. सरकारी रेट की मजदूरी नहीं मिलने पर भूखमरी की स्थिति पैदा हो रही है, मुख्य सड़क का खस्ताहाल है. स्थानीय ग्रामीणों को किसी तरह की कोई प्राथमिकता नहीं दी जा रही है. अगर उनकी 7 सूत्री मांगों पर कंपनी प्रबंधन द्वारा ध्यान नहीं दिया जाता है तो भविष्य में आस-पास के सभी गांव के ग्रामीण उग्र प्रदर्शन के लिए बाध्य होंगे, जिसकी जवाबदेही कंपनी प्रबंधन की होगी.

Source : News Nation Bureau

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