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लोहरदगा में ग्रामीणों को है विकास का इंतजार, ना सड़क की सुविधा, ना पानी का इंतजाम

झारखंड, नाम से ही साफ हो जाता है कि ये राज्य हरे भरे वादियों और मनमोहक नजारों से ओतप्रोत है. इस राज्य की संस्कृति का अहम हिस्सा है यहां के आदिवासी समूह.

Updated on: 15 Nov 2022, 04:10 PM

Lohardaga:

झारखंड, नाम से ही साफ हो जाता है कि ये राज्य हरे भरे वादियों और मनमोहक नजारों से ओतप्रोत है. इस राज्य की संस्कृति का अहम हिस्सा है यहां के आदिवासी समूह. राज्य अपना स्थापना दिवस भी मना रहा है. ऐसे में हम एक नजर प्रदेश के उन समुदायों पर डालते हैं, जिनके अस्तित्व ने इस राज्य को इतना खास बनाया है. झारखंड अपना 22वां स्थापना दिवस मना रहा है. राज्यवासी अपने राज्य की स्थापना का जश्न मना रहे हैं. कोई झूम रहा है तो कोई गा रहा है, लेकिन इस जश्न और सौगातों के बीच एक नजर उन लोगों पर भी डालते हैं जिनका अस्तित्व ही इस राज्य को इतना खास बनाता है. हम बात कर रहे हैं आदिम जनजातियों की. झारखंड की सुंदर पहाड़ियों और हरी-भरी वादियों के बीच रहने वाले आदिम जनजाति के लोग आज भी विकास की राह देख रहे हैं. विकास के इस दौड़ और दावों और वादों के खेल के बीच ये कहीं पीछे छूट गए हैं.

पहाड़ों के बीच कड़ाके की ठंड, लेकिन पहनने को गर्म कपड़े नहीं, भूख लगी है, लेकिन खाने के लिए पोष्टिक भोजन नहीं...पढ़ाई भी करनी है, लेकिन शिक्षा की ओर ले जाने वाला कोई रास्ता नहीं. कुछ खपड़ैल घर जरूर है, जो मिट्टी की दीवारों के सहारे खड़ी हैं. ना जाने कब ये घर भी साथ छोड़ जाएं. कुछ ऐसी ही जिंदगी है लोहरदगा जिले के पाखर पहाड़ी इलाके के लोगों की. यहां के आदिवासी जंगलों पर निर्भर है. ऐसे में दो वक्त की रोटी भी मिल जाए तो दिन बन जाता है.

सवाल राज्य और उसके लोगों के विकास का है, तो राजनीति तो होगी है. यहां भी कुछ ऐसा ही हो रहा है. मामले को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं. जहां पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुखदेव भगत का दावा है कि राज्य के लोगों के लिए सरकार अच्छा काम कर रही है, तो वहीं दूसरी ओर पूर्व विधान पार्षद प्रवीण कुमार सिंह का कहना है कि राज्य का विकास आज भी हाशिए पर खड़ा है. इन तस्वीरों को लेकर राजनीति करने से कहीं बेहतर ये होगा कि राज्य सरकार हो या विपक्ष सभी अपने-अपने स्तर पर तमाम आदिवासियों के विकास पर फोकस करें... ताकि जो आदिवासी इन राज्य को इतना खास बनाते हैं. उन्हें भी उनका हक जल्द से जल्द मिल सके.

रिपोर्ट : गौतम लेनिन

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