प्रशासन की अनदेखी का दंश झेल रहे ग्रामीण, चचरी पुल से कर रहे आवाजाही

आज देश चांद पर पहुंच गया है, लेकिन इसी देश का एक हिस्सा ऐसा भी है, जहां लोग एक गांव से दूसरे गांव तक जाने के लिए भी जान को हथेली पर रखकर आवाजाही करते हैं.

आज देश चांद पर पहुंच गया है, लेकिन इसी देश का एक हिस्सा ऐसा भी है, जहां लोग एक गांव से दूसरे गांव तक जाने के लिए भी जान को हथेली पर रखकर आवाजाही करते हैं.

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Vineeta Kumari
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प्रशासन की अनदेखी का दंश झेल रहे ग्रामीण( Photo Credit : फाइल फोटो)

आज देश चांद पर पहुंच गया है, लेकिन इसी देश का एक हिस्सा ऐसा भी है, जहां लोग एक गांव से दूसरे गांव तक जाने के लिए भी जान को हथेली पर रखकर आवाजाही करते हैं. झारखंड में विकास के खोखले दावों की बानगी करती इस तस्वीर को देखिए. कैसे कुछ मासूम एक कमजोर सी चचरी पुल को पार कर रहे हैं. थोड़ी सी चूक और क्या अनहोनी होगी ये बताने की जरूरत नहीं. यह खोखला सिस्टम आम जनता को कभी ना खत्म होने वाले ऐसे सर्कस का हिस्सा बना देता है, जहां हर अगला कदम हादसे और अनहोनी को दावत देने जैसा होता है. ये तस्वीरें उस सरकार से सवाल करती है, जो मंचों से विकास की गाथा गाते हैं. उन अधिकारियों से सवाल करती है, जो एसी वाले दफ्तर में बैठकर आराम फरमाते हैं. 

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नदी के बीच बना चचरी पुल

तस्वीरें गुमला के घाघरा प्रखंड के खपरा टोली गांव की है. यहां के ग्रामीणों के लिए विकास तो दूर की बात है, आवाजाही करने के लिए एक अदद सड़क और पुल तक नहीं है. बरसात के दिनों में खपरा टोली में नदी के दूसरी छोर पर रहने वाले परिवारों के लिए आना-जाना मुहाल हो जाता है. नदी पर पुल ना होने से कुछ लोग चचरी पुल के सहारे जाते हैं, तो कुछ लोग मजबूरन पैदल ही नदी को पार करते हैं. गांव की महिलाओं को इससे सबसे ज्यादा परेशानी होती है. खासकर अगर गांव में कोई महिला गर्भवती हो, तो उसे इलाज मिल पाना भी मुश्किल हो जाता है. ग्रामीणों ने कई बार जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों को इसकी शिकायत की है, लेकिन ये सब ढाक के तीन पात ही साबित हुए. 

जान हथेली पर रखकर लोग कर रहे आवाजाही

वहीं, मामले को लेकर कई बार स्थानीय नेताओं ने भी सवाल उठाया है, लेकिन कोई करवाई नहीं हुई. ऐसा लगता है मानों यहां के सांसद और विधायकों को जनता की हित और उनकी परेशानी से कोई लेना-देना ही नहीं है. इस समस्या को लेकर जब जिले के डीसी कर्ण सत्यार्थी से बात की गई तो उन्होंने ने भी माना कि गांव के कुछ क्षेत्रों में इस तरह की समस्या है और जिला प्रशासन इन समस्याओं का निदान करने की कवायद में जुटा है. मला जैसे आदिवासी बहुल इलाके के किसी एक गांव की ये समस्या नहीं है, बल्कि कई इलाकों में ऐसी स्थिति बनी हुई है. बावजूद इसके सरकार और प्रशासन की ओर से पहल ना करना उनकी कार्यशैली पर सवाल खड़े करता है और शासन-प्रशासन की अनदेखी और लापरवाही का दंश गरीब जनता झेलने को मजबूर हो जाती है. 

HIGHLIGHTS

  • नदी के बीच बना चचरी पुल
  • जान हथेली पर रख लोग कर रहे आवाजाही
  • प्रशासन की अनदेखी का दंश झेल रहे लोग

Source : News State Bihar Jharkhand

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