दूधमिट्टी से होता है झारखंड के इस गांव का गुजारा, एक टोकरी की 30 रुपये

रामगढ़ का दूधमटिया गांव मुख्यमंत्री के पैतृक नेमरा से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, लेकिन इस गांव में आजतक रोजगार का कोई साधन नहीं पहुंच पाया है.

रामगढ़ का दूधमटिया गांव मुख्यमंत्री के पैतृक नेमरा से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, लेकिन इस गांव में आजतक रोजगार का कोई साधन नहीं पहुंच पाया है.

author-image
Jatin Madan
New Update
milk soil

ग्रामीणों के रोजगार का साधन दूधमिट्टी.( Photo Credit : News State Bihar Jharakhand)

रामगढ़ का दूधमटिया गांव मुख्यमंत्री के पैतृक नेमरा से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, लेकिन इस गांव में आजतक रोजगार का कोई साधन नहीं पहुंच पाया है. आज भी यहां के ग्रामीण सिर्फ मिट्टी बेचकर अपना गुजारा करने को मजबूर हैं. सफेद मिट्टी के पहाड़ को आम बोलचाल में दूधमिट्टी कहते हैं. इस मिट्टी का इस्तेमाल सिर्फ घर की निपाई में किया जाता है, लेकिन यही मिट्टी दूधमटिया गांव के लोगों के लिए रोजगार का साधन है. हैरत की बात है कि 21वीं सदी में जहां दुनिया खुद को तकनीक से जोड़कर विकास की नई ऊंचाइयां छू रही है ऐसे दौर में भी कुछ गांव है जो मिट्टी के भरोसे अपना गुजारा करने को मजबूर हैं.

Advertisment

एक टोकरी की कीमत महज 30 रुपये

दूधमटिया गांव में रोजगार का कोई साधन नहीं है. ग्रामीण मिट्टी के पहाड़ों से पूरे दिन मिट्टी खोदते हैं और बाजार में जाकर उसे बेच देते हैं. हालांकि ये मिट्टी बेहद सस्ती मिलती है. एक टोकरी की कीमत महज 30 रुपये हैं. अब इससे ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां के लोगों की कमाई और आर्थिक हालत कैसी होगी. दिनभर कुदाल लेकर पसीना बहाओ, लेकिन रात तक हाथ में चंद रुपए आते हैं. उसी में जैसे तैसे दो वक्त की रोटी जुटा लेते हैं, लेकिन अब यहां के ग्रामीण सरकार से मांग कर रहे हैं. 

यह भी पढ़ें : Bihar MLC Election: BJP ने अपने उम्मीदवारों के नाम की कर दी घोषणा, 5 सीटों के लिए होगा चुनाव

बामुश्किल घर का गुजारा

दूधमिट्टी की मांग दीपावली के समय में बढ़ जाती है. बंगाल और झारखंड के कोने-कोने से खरीदार दूध मिट्टी खरीदने के लिए दुधमटिया गांव पहुंचते हैं, लेकिन त्योहारी सीजन के बाद गांव वाले बामुश्किल घर का गुजारा कर पाते हैं. ऐसे में लोगों की मांग है कि झारखंड सरकार उन्हें रोजगार के साधन दे ताकि वो भी औरों की तरह अपना जीवन स्तर बेहतर कर सके और अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा के साथ अच्छा जीवन दे सके.

ग्रामीणों की पुकार सुनों सरकार

सीएम के गांव से 10 किलोमीटर की दूरी वाले गांव की ये हालत शासन और प्रशासन के दावों पर सवाल खड़े करती है. चुनावी मंचों से बड़े-बड़े वादे करने वाले जनप्रतिनिधि चुनाव खत्म होते ही कैसे जनता को जहन में लाने की जहमत भी नहीं उठाते ये तस्वीरें उसी का उदाहरण है. अब देखना होगा कि ग्रामीणों की पुकार सरकार तक कब पहुंचती है.

रिपोर्ट : अनुज कुमार

HIGHLIGHTS

  • ग्रामीणों के रोजगार का साधन दूधमिट्टी 
  • दिवाली के समय बढ़ जाती है डिमांड
  • बंगाल और झारखंड के कोने-कोने तक डिमांड
  • ग्रामीणों ने सीएम से की रोजगार की मांग

Source : News State Bihar Jharkhand

Milk Soil Ramgarh News jharkhand-news Jharkhand government
      
Advertisment