logo-image

सिमडेगा में अनोखा मजार, बहादुर शाह जफर के शासनकाल से जुड़ा है इतिहास

आपने अभी तक किसी थाने परिसर के अंदर वर्दीधारी पुलिसकर्मियों को ही देखा होगा, लेकिन आज आपको हम एक अनोखा थाना दिखाएंगे, जहां थाना परिसर में मजार भी स्थित है.

Updated on: 18 Mar 2023, 02:43 PM

highlights

  • थाना परिसर में स्थित है मजार
  • बहादुर शाह जफर के शासनकाल से जुड़ा है इतिहास
  • हर साल थाने में मनाते हैं उर्स

 

Simdega:

आपने अभी तक किसी थाने परिसर के अंदर वर्दीधारी पुलिसकर्मियों को ही देखा होगा, लेकिन आज आपको हम एक अनोखा थाना दिखाएंगे, जहां थाना परिसर में मजार भी स्थित है. जिससे सभी धर्मों की आस्था जुड़ी है. यह अनोखा मजार सिमडेगा थाना परिसर में है. पुलिस और भक्त एक साथ माथा टेकते हैं. जी हां, अभी तक आपने बहुत से मजार देखे होंगें, लेकिन सिमडेगा में कोलेबिरा थाना परिसर में स्थित बाबा अंजान पीर शाह की मजार अपने आप में अनोखा मजार है. शायद ये पहला मजार है, जो किसी थाना परिसर में स्थित है. जहां प्रत्येक वर्ष उर्स मनाया जाता है और उर्स के इस कार्यक्रम में बाबा की मजार पर पहला चादर पुलिस परिवार की तरफ से चढाया जाता है.

यह भी पढ़ें- बेटी जन्म देने पर मिली मौत की सजा, मां और भाई ने किया खुलासा

थाना परिसर में स्थित है यह मजार

बाबा के इस मजार की सबसे अनोखी बात यह है कि बाबा का मजार थाना के पुराने भवन के अंदर हीं बना हुआ है. जहां मजार के अगल-बगल वाले कमरों में थाना के मालखाना और वायरलेस चलते हैं. मान्यता है कि सन 1911 के ब्रिटिश शासनकाल से चली आ रही यह उर्स की परंपरा आज भी कायम है. यहां शुरू से ही उर्स के मौके पर मजार पर पहली चादरपोशी पुलिस परिवार के तरफ से किया जाता है. इस मजार पर उर्स के मौके पर हर धर्म के लोग आते हैं.

मजार का इतिहास बहादुर शाह जफर के शासनकाल से जुड़ा

गौरतलब है कि कोलेबिरा थाना परिसर में स्थित इस मजार का इतिहास बहादुर शाह जफर के शासनकाल से जुड़ा है. यहां के मौलाना ने बताया कि बहादुर शाह जफर के शासन काल में सूफी ईसाक्यामुदीन कोलेबिरा में एक अधिकारी के रूप में काम करने आये थे, लेकिन उनकी मौत यहीं हो गयी. इसके बाद इन्हे यहीं दफन कर दिया गया. बाद में ब्रिटिश शासन काल में सन 1911 में कोलेबिरा में थाना बनाने के लिए इसी सूफी के मजार वाली जगह पर खुदाई शुरू हुई, लेकिन काम कराने वालों और उस वक्त के ब्रिटीश अधिकारी को बाबा ने स्वप्न में अपने होने का एहसास कराया.

हर साल थाने में मनाते हैं उर्स

इसके बाद ब्रिटिश अधिकारी ने थाना भवन के एक कमरे में ही बाबा की मजार बनवा दी. तब से लेकर आज तक प्रत्येक वर्ष यहां उर्स का आयोजन होता आ रहा है. आज से यहां उर्स शुरू हुआ है. थाना परिसर में मजार होने से ना तो पुलिस वालों को किसी तरह की परेशानी होती है और ना ही मजार तक आने वाले जायरिनों को. पुलिस पदाधिकारियों का कहना है कि इस मजार में दुआ मांगने से और पीर बाबा की कृपा से पुलिस वाले भी सुरक्षित काम करते हैं. कोलेबिरा ने कहा कि इस पीर की मजार में सबकी आस्था जुड़ी है. आज से यहां उर्स शुरू है, जिसको लेकर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं.