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गंदा पानी पीने को मजबूर लोग.( Photo Credit : News State Bihar Jharakhand)
आदिवासी के नाम पर नेता झारखंड में सत्ता तक तो पहुंच जाते हैं, लेकिन जब आदिवासी हित में किए जा रहे काम की बात आती है तो सरकारी योजनाओं की दुर्गती देखने को मिलती है. आदिवासियों का बूंद बूंद पानी के लिए तरसना पड़ता है. सरकार योजनाओं पर करोड़ों खर्च करने के बाद भी जनता की हालत जस की तस बनी रह जाती है. सरायकेला में लोग नाली से पानी भरते देखे जा सकते हैं और नाली के गंदे पानी से ही वो अपना गुजारा भी करते हैं.
मूलभूत सुविधाओं से वंचित आदिवासी
सरायकेला जिले का मिरुडीह इलाका आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. एक तरफ सरकार विकास के दावे कर रही है और दूसरी ओर प्रदेश की जनता को पीने तक का पानी नसीब नहीं हो रहा है. आलम ये है कि लोग नाले का गंदा पानी पीने को मजबूर हैं. आदिवासी बहुल इस बस्ती में करीब 200 से ज्यादा लोग पानी के लिए इसी सड़क किनारे बने नाले पर निर्भर है. गांव वालों की मानें तो कई साल पहले गांव में हैंडपंप लगवाया गया था, लेकिन वो खराब पड़ा है और मरम्मत कराने की जहमत प्रशासन उठा नहीं रहा. ऐसे में वो गंदा पानी पीने को मजबूर हैं.
पानी पीकर हो रहे बीमार
कहने को तो ये इलाका परिवहन मंत्री और विधायक चंपई सोरेन के विधानसभा क्षेत्र में आता है, लेकिन विधायक अपने ही इलाके पर नजर-ए-इनायत नहीं कर रहे हैं. इस इलाके में सरकार की ओर से चलाई जा रही हर घर जल योजना भी नहीं पहुंची है. गंदा पानी पीने से ग्रामीण बीमार पड़ रहे हैं, लेकिन शासन हो या प्रशासन उन्हें ना तो ग्रामीणों के स्वास्थ्य की चिंता है और ना क्षेत्र के विकास की.
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समस्या सुनने वाला कोई नहीं
झारखंड सरकार हर मंच से खुद को आदिवासी हितैषी घोषित करने में लगी रहती है, लेकिन इसी सरकार के शासन में प्रदेश के कई आदिवासी बहुल इलाके विकास से अछूते हैं. कहीं सड़क नहीं तो कही पानी की कमी है. सरकार अगर दावों के अलावा जमीनी स्तर पर हो रहे काम पर जोर दे तो शायद ऐसी तस्वीरें देखने को ना मिले.
रिपोर्ट : बीरेंद्र मंडल
HIGHLIGHTS
- पानी की किल्लत... ग्रामीण लाचार
- गंदा पानी पीने को मजबूर लोग
- पानी पीकर हो रहे बीमार
- समस्या सुनने वाला कोई नहीं
Source : News State Bihar Jharkhand