Jharkhand: राज्य स्थापना के 22 साल बाद भी ये जिले शिक्षा व स्वास्थ्य से वंचित
झारखंड सरकार के साथ ही राज्य के हर जिले प्रशासन की ओर से 15 नवंबर को झारखंड का 22वां स्थापना दिवस मनाया जायेगा.
highlights
. 15 नवंबर को झारखंड का 22वां स्थापना दिवस
. आज भी राज्य के ये जिले शिक्षा व स्वास्थ्य से वंचित
Gumla:
झारखंड सरकार के साथ ही राज्य के हर जिले प्रशासन की ओर से 15 नवंबर को झारखंड का 22वां स्थापना दिवस मनाया जायेगा, जिसको लेकर तैयारी शुरू हो चुकी है. वहीं आज भी झारखंड के कई गांव में विकास की बात तो दूर, गांव में मूलभूत सुविधा भी बहाल नहीं हो पाई है. लोगों ने इसको लेकर सवाल खड़े किए हैं. सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सरकार से गंभीरता से गांव के विकास पर सोचने की अपील की है. देश की आजादी के साथ ही झारखंड स्थापना को एक लंबा समय बीत चुका है, बावजूद इसके गुमला जैसे आदिवासी बहुल जिले में आज तक सही रूप से विकास नहीं हो पाया है.
जिला के ग्रामीण क्षेत्रो में ना तो सही रूप से सड़कों का निर्माण हो पाया है, ना ही लोगों को शिक्षा व स्वास्थ्य की ही सही व्यावस्था मिल पाई है. सामाजिक कार्यकर्ता संदीप प्रसाद की माने तो भारत गांव का देश है, लेकिन इसके बाद भी आज गांव की जो स्थिति है, उसे देखकर उन्हें काफी दुख होता है.उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि सरकार की ओर से पैसा नहीं खर्च किया गया. करोड़ों अरबों रुपये खर्च करने के बाद भी गांव की तस्वीर नहीं बदली तो दिल को काफी दुख होता है.
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गुमला जिला झारखंड के एक आदिवासी बहुल जिला होने के कारण सरकार की ओर से पैसा काफी मिलता तो है ही साथ ही देश के 115 पिछड़े जिलों में शामिल होने के कारण भी केंद्र सरकार की ओर से स्पेशल फण्ड मिलता है, लेकिन इसके बाद भी जिला की बदहाली चिंताजनक है. इस मामले पर जब जिला के डीसी सुशांत गौरव से बात की गई तो उन्होंने कहा कि विकास लम्बे समय तक चलने वाली सतत प्रक्रिया है. इसलिए विकास को लेकर हर कोई अपने-अपने तरीके से आंकलन करता है. उन्होंने कहा कि आज भी विकास का कार्य तेजी से चल रहा है और लगातार गांव में विकास पहुंचाया जा रहा है.
जिला के डीसी सुशांत गौरव लाख दावे कर ले, लेकिन राज्य स्थापना के लंबे समय के बाद भी जो गांव की हालत है, वह निश्चित रूप से चिंता का विषय है क्योंकि जब हम विकास के दावे करते हैं तो वह केवल शहरी क्षेत्र में ही दिखता है. गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता सईदा खातून की मानें तो आज भी ग्रामीण क्षेत्र में सही रूप से विकास नहीं हो पाया है, जिसके कारण लोगों को दिक्कत हो रही है.
वहीं उन्होंने कहा कि आज भी गांव में बिजली पानी सहित कई समस्या खड़ी है, जो सिस्टम के मुंह पर तमाचा है. वहीं एक शिक्षिका साजिया खातून की मानें तो जिस सोच के साथ झारखंड बना है वह समस्या आज तक बनी हुई है. इस राज्य के बनने से केवल राजनेताओं को लाभ मिले हैं, उन्हें ही अवसर मिला. इस राज्य को लूटा जा रहा है, गरीबों को कोई नहीं देख रहा है. वहीं एक अन्य शिक्षक ने कहा कि 22 साल बाद भी आज तक शिक्षा व स्वास्थ्य की स्थिति काफी बदहाल बनी हुई है तो क्या उम्मीद किया जाए.
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