यहां की हवा में ऑक्सीजन से ज्यादा है जहर, कई इलाकों के अस्तित्व पर भी खतरा

धनबाद जहां से देश में 75 फीसदी कोयले की आपूर्ति होती है, लेकिन जिले की यही खासियत यहां के लोगों के लिए अभिशाप बन गई है.

धनबाद जहां से देश में 75 फीसदी कोयले की आपूर्ति होती है, लेकिन जिले की यही खासियत यहां के लोगों के लिए अभिशाप बन गई है.

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Jatin Madan
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प्रदूषण से लोगों का जीना मुहाल.( Photo Credit : News State Bihar Jharakhand)

धनबाद जहां से देश में 75 फीसदी कोयले की आपूर्ति होती है, लेकिन जिले की यही खासियत यहां के लोगों के लिए अभिशाप बन गई है. जहां के कोयले से पूरे देश के घर रोशन होते हैं वहां के लोगों का जीवन दिन के उजाले में भी अंधकार जैसा हो गया है. काले धुएं का गुबार मानो पूरे शहर को अपने आगोश में ले ले. हवा में ऑक्सीजन से ज्यादा जहर घुला है. प्रदूषण से आलम ये है कि अब सांस लेने के लिए भी लोगों को जद्दोजहद करनी पड़ रही है. 

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नियमों को ताक पर रखकर हो रहा खनन

बीसीसीएल और कोयला उत्पादन करने वाली आउटसोर्सिंग कम्पनियों की मनमानी का खामियाजा कई गांव भुगतने को मजबूर हैं. झरिया के पूर्वी एरिया भौरा में बीसीसीएल कंपनी और आउटसोर्सिंग कंपनियां सरकारी नियमों को ताक पर रखकर कोयला खनन कर रही हैं. जिसके चलते आस-पास के गांव के लोग प्रदूषण की समस्या से दो-चार हो रहे हैं. भौरा में बीसीसीएल मेगा प्रोजेक्ट के तहत कोयला उत्खनन का काम देव प्रभा आउटसोर्सिंग कंपनी को सौंपी गई है, लेकिन देव प्रभा आउटसोर्सिंग कंपनी नियमों की जमकर धज्जियां उड़ा रही है. जहां कोयला उत्खनन के साथ ओबी यानी अपशिष्ट पदार्थों को खेती वाली जमीन पर ही जमा कर रहे हैं. इस मेगा प्रोजेक्ट से पूरे भौरा का अस्तित्व खतरे में आ गया है. जहां ओबी डंप हो रहा है वहां खेती वाली जमीन के साथ ही जंगली जानवरों पर भी खतरा मंडराने लगा है.

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प्रदूषण से लोगों का जीना मुहाल

अब प्रदूषण लोगों के घरों तक पहुंचने लगा है और ये लोगों के स्वास्थ्य के साथ ही रोजगार पर भी असर करने लगा है. कभी जिस तालाब को भौरा बाजार के लोगों का लाइफ लाइन कहा जाता था और हैवी ब्लास्टिंग से ये तालाब सूख चुका है. जिससे मछली पालन करने वाले लोगों के सामने रोजगार का संकट पैदा हो गया है, लेकिन इतना सब होने के बाद भी बीसीसीएल कंपनी ने लोगों को मुवाबजा और नियोजन नहीं दिया है.

आउटसोर्सिंग कंपनियों की मनमानी से परेशान

जैसे हर सिक्के के दो पुहलू होते हैं कोयलांचल की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. यहां कोयले के भंडार ने पूरे देश की जनता का जीवन तो आसान कर दिया, लेकिन कोयलांचल के लोग ही इसका दंश झेल रहे हैं. खनन कंपनियों को मानो खुली छूट मिल गई है. उन्हें नियमों को तोड़ने या कार्रवाई का कोई डर नहीं और उनकी यही मनमानी आम लोगों का जीना मुहाल कर रही है.

रिपोर्ट : नीरज कुमार

HIGHLIGHTS

  • अभिशाप झेल रही कोयलांचल की जनता
  • प्रदूषण से लोगों का जीना मुहाल
  • आउटसोर्सिंग कंपनियों की मनमानी से परेशान
  • नियमों को ताक पर रखकर हो रहा खनन

Source : News State Bihar Jharkhand

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