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दशरथ मांझी से इस गांव के लोगों ने ली प्रेरणा, पहाड़ का सीना चीर खुद ही बना रहे रास्ता

धनबाद में भी दशरथ मांझी से प्रेरणा लेकर गांव के लोगों ने श्रमदान कर पहाड़ का सीना चीर कर रास्ता बना रहे हैं ताकि गांव के बच्चों को स्कूल जाने के लिए लंबा रास्ता तय नहीं करना पड़े और आसानी से कम समय में स्कूल पहुंच सके.

Updated on: 29 Dec 2022, 11:00 AM

highlights

  • ग्रामीण श्रमदान कर खुद ही पहाड़ का सीना चीर बना रहे रास्ता 
  • ग्रामीण छह किलोमीटर की दूरी तय कर जाते हैं महुदा 
  • गांव चारों तरफ से है जंगलों से घिरा हुआ 

Dhanbad:

दशरथ मांझी की कहानी तो आप लोगों  ने जरूर सुनी होगी जिन्होंने अपनी पत्नी की पीड़ा को देखकर पहाड़ का सीना चीर कर रास्ता बना दिया ताकि उनकी पत्नी की तरह किसी दूसरे को परेशानी ना हो वहीं, धनबाद में भी दशरथ मांझी से प्रेरणा लेकर गांव के लोगों ने श्रमदान कर पहाड़ का सीना चीर कर रास्ता बना रहे हैं ताकि गांव के बच्चों को स्कूल जाने के लिए लंबा रास्ता तय नहीं करना पड़े और आसानी से कम समय में स्कूल पहुंच सके. 

पूरा मामला धनबाद जिले के बाघमारा प्रखंड के अंतर्गत देवधरा गांव की है. जहां ग्रामीणों ने महुदा और कतरास की दूरी को कम करने के लिए एक सौ फीट पहाड़ का सीना चीर कर रास्ता बना रहे हैं ताकि महुदा और कतरास की दूरी कम हो सके. ग्रामीण खुद से ही हाथ में फावड़ा और कुदाल लेकर पहाड़ को काट कर रास्ता बना रहे हैं. फिलहाल देवधरा गांव के ग्रामीण छह किलोमीटर की दूरी तय कर महुदा जाते हैं. रास्ता बन जाने के बाद इसकी दूरी केवल दो किलोमीटर हो जाएगी जिससे ना केवल बच्चो को स्कूल जाने में आसानी होगी बल्कि ग्रामीणों का हर कम आसान हो जाएगा.

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वहीं, ग्रामीण ने बताया कि देवघरा गांव के लोग श्रमदान से सड़क बनाने में लगे हुए हैं. गांव के सभी महिला और पुरुष मिलकर 12 दिनों से पर्वत चीर कर सड़क निर्माण कर रहे हैं. ये सड़क 1 महीने के अंदर में बनकर तैयार हो जाएगा. इस रास्ते के बन जाने के बाद गांव लोग आसानी से 2 किलोमीटर का सफर तय कर महुदा बाजार जा सकेंगे. फिलहाल देवघरा गांव के लोगों के पास मात्र रेलवे ट्रैक ही एक उपाय है. जिससे रेल ट्रैक पर आए दिन दुर्घटना हो रही है जिसके वजह से मजबूरी में रेलवे ट्रेक पर चलकर 7 किलोमीटर की दूरी तय कर महुदा के बाजार पहुंचते हैं. बता दें कि गांव चारों तरफ जंगलों से घिरा हुआ है. 

रिपोर्ट - नीरज कुमार