धड़ाधड़ फैसले ले रही झारखंड में नई सरकार, जानिए अब तक क्या-क्या किया
झारखंड (Jharkhand) में हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार बने 18 दिन गुजर हुए हैं.
रांची:
झारखंड (Jharkhand) में हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार बने 18 दिन गुजर हुए हैं. इस दौरान भले ही मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं हो पाया हो, लेकिन मुख्यमंत्री हेमंत (Hemant Soren) ने धड़ाधड़ कई अहम फैसले लिए हैं. सरकार बनने के बाद पहली और एकमात्र हुई कैबिनेट (Cabinet) की बैठक में सरकार ने पत्थलगड़ी मामले को लेकर दर्ज सभी मामले वापस लेने के निर्णय लिए हैं. झारखंड में झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने 29 दिसंबर को मुख्यमंत्री (Chief Minister) पद की शपथ ली थी. उनके साथ अन्य तीन विधायकों को भी मंत्री पद की शपथ दिलाई गई थी. इसके बाद से ही मंत्रिमंडल विस्तार के कयास लगाए जा रहे हैं, लेकिन अब तक मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं हो सका है.
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हेमंत ने कैबिनेट की पहली बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लेकर इसके संकेत दे दिए कि आने वाले समय में सरकार कठोर निर्णय लेने से भी नहीं हिचकेंगे. सरकार बनने के दूसरे ही दिन कैबिनेट की पहली बैठक में छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम (सीएनटी एक्ट) और संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम (एसपीटी एक्ट) में संशोधन के विरोध करने तथा पत्थलगड़ी करने के क्रम में जिन व्यक्तियों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कर मुकदमे दायर किए गए हैं, उन्हें वापस लेने का निर्णय लिया गया. इसके अलावा बैठक में विभिन्न विभागों में जितनी भी रिक्तियां हैं, उन्हें भी जल्द भरने का निर्देश दिया गया. महिलाओं तथा अवयस्कों के विरुद्ध हो रहे यौन उत्पीड़न और अन्य अपराधों की शीघ्र सुनवाई के लिए सभी जिलों में फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन का निर्णय लिया गया.
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कैबिनेट की बैठक में झारखंड सरकार के प्रतीक चिह्न को भी बदलने का निर्णय लिया गया. इसके अलावा भी हेमंत ट्विटर पर मिल रही शिकायतों पर संबंधित अधिकारियों को कार्रवाई का निर्देश दे रहे हैं. उन्होंने धनबाद में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और एनआरसी के खिलाफ विरोध कर रहे लोगों पर से राजद्रोह का मुकदमा वापस लेने का फैसला भी लिया है. उन्होंने आदेश दिया है कि सीएए और एनआरसी के खिलाफ धनबाद में प्रदर्शन करने वाले 3000 लोगों पर लगे राजद्रोह के मामले वापस लिए जाएं, साथ ही दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की गई.
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इस क्रम में हेमंत ने ट्वीट कर लिखा, 'कानून जनता को डराने एवं उनकी आवाज दबाने के लिए नहीं, बल्कि आम जन-मानस में सुरक्षा का भाव उत्पन्न करने को होता है. मेरे नेतृत्व में चल रही सरकार में कानून जनता की आवाज को बुलंद करने का कार्य करेगी. धनबाद में 3000 लोगों पर लगाए गए राजद्रोह की धारा को अविलंब निरस्त करने के साथ साथ दोषी अधिकारी के खिलाफ समुचित करवाई की अनुशंसा कर दी गई है.'
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