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ग्रामीणों और स्कूल प्रबंधक की लड़ाई में पीस रहा बच्चों का भविष्य, एक माह से स्कूल में लटका ताला

स्कूल प्रबंधक और ग्रामीणों के बीच के विवाद के कारण घांसीलारी आरसी प्राथमिक विद्यालय पिछले एक माह से बंद है. जिससे यहां पढ़ने वाले बच्चे अपने स्कूल से वंचित हो गए हैं.ग्रामीणों ने शिक्षक बहाली में अनियमितता का आरोप लगाकर 17 नवंबर को तालाबंदी कर दिया था

Updated on: 19 Dec 2022, 08:22 AM

highlights

  • अपने स्कूल से वंचित बच्चे
  • 17 नवंबर से स्कूल में लटका ताला
  •  ग्रामीण कुछ सुनने को तैयार हीं नहीं
  • एक माह से बंद है स्कूल

Simdega:

शिक्षा हर बच्चों का अधिकार है लेकिन सिमडेगा के घांसीलारी में बच्चे आज अपने शिक्षा के इस अधिकार से वंचित हो रहे हैं और इन्हें शिक्षा से दुर ना तो सरकार ने किया है ना हीं प्रशासन ने इन्हें शिक्षा से दुर खुद इनके गांव वालों ने किया है. स्कूल प्रबंधक और ग्रामीणों के बीच के विवाद के कारण घांसीलारी आरसी प्राथमिक विद्यालय पिछले एक माह से बंद है. जिससे यहां पढ़ने वाले बच्चे अपने स्कूल से वंचित हो गए हैं.

बता दें कि, सिमड़ेगा जिले के कोलेबिरा प्रखंड अंतर्गत डोम टोली पंचायत के आरसी प्राथमिक विद्यालय घांसीलारी विद्यालय में ग्रामीणों ने शिक्षक बहाली में अनियमितता का आरोप लगाकर 17 नवंबर को तालाबंदी कर दिया था. स्कूल तभी से बंद है. विद्यालय बंद रहने से यहां पढ़ने वाले सैकडों छात्र छात्राओं को पढ़ाई में परेशानी हो रही है. उनके गांव से पांच किलोमीटर के रेडियस में कोई दुसरा विद्यालय भी नहीं है जहां ये बच्चे जा सकें. मजबूरन सभी बच्चे ग्रामीणों और स्कूल प्रबंधन के विवाद खत्म होने की राह देख रहे हैं.

वहीं, इस मामले में एजुकेशन एसडीओ बादल राज ने कहा कि मामला पहले संज्ञान में आया है. प्रखंड प्रशासन स्तर से पूर्व में प्रयास भी किए गए हैं. लेकिन वहां के ग्रामीण कुछ सुनने को तैयार हीं नहीं हैं. अल्पसंख्यक स्कूल की मैनेजमेंट कमिटि अलग होती है. फिर भी वे एक बार फिर से उस स्कुल को खुलवाने का प्रयास करेगें.

स्कूल प्रबंधन और ग्रामीणों के बीच की लड़ाई ना जाने कब खत्म होगी क्योंकि ना तो ये शिक्षा विभाग की सुन रहे हैं ना हीं प्रशासन की लेकिन इन सब के बीच अगर कोई सबसे बड़े नुकसान में है तो वो वहां पढ़ने वाले सैकडों बच्चे हैं. जिनसे आज स्कूल प्रबंधक और ग्रामीणों के बीच इस लडाई ने बच्चों के शिक्षा की आहूति ले रही है.

रिपोर्ट - अमित रंजन