सरायकेला में छात्र जान को हथेली पर रखकर पढ़ाई कर रहे हैं. स्कूल के बगल में फैक्ट्री चलाई जा रही है, जो हर दिन हवा में जहर घोलती है. प्रदूषित हवा पल-पल छात्रों का दम घोंट रही है, लेकिन शासन-प्रशासन की कुंभकर्णी नींद है कि खुलने का नाम नहीं ले रही है. जहरीले धुएं के बीच भविष्य गढ़े जा रहे हैं. ऐसा नहीं है कि स्कूल के छात्र अलगम फैक्ट्री से निकलने वाली धुएं का मुकाबला कर भविष्य गढ़ रहे हैं.. बल्कि मौत को दावत देते हुए भविष्य गढ़ने की इनकी नियती बन चुकी है.
नीला आकाश देखे हुए स्कूल के इन बच्चों को जमाने बीत गये. जहां दिन में भी फैक्ट्री के धुएं से अंधेरा छाया हो, वहां बच्चों के स्वास्थ्य की हालत क्या होगी. फैक्ट्री चलाने के आगे अलगम फैक्ट्री प्रबंधन को छात्रों की चिंता नहीं है. यानि फैक्ट्री की तरफ से जहरीले धुएं को रोकने के लिए कोई पहल नहीं की गई. पहल तो सांसद से लेकर विधायक की तरफ से भी नहीं हुई. तमाम महकमें तक ग्रामीणों ने इन जहरीले धुएं की शिकायत की. आश्वासन मिला भी, लेकिन अमल नहीं हुआ. थके हारे लोग इन स्कूली बच्चों को बचाने के लिए अब स्कूल को यहां से हटाने की मांग कर रहे हैं.
इस स्कूल की हाल भी खराब हैं. बच्चे जर्जर भवन के बीच जिंदगी दांव पर लगाकर पढ़ने को मजबूर हैं. स्कूल रात होते ही शराबियों का अड्डा बन जाता है. स्कूल के बच्चे मानो हालातों से जंग लड़ रहे हैं. बदहाली और जहर घोलते धुएं के बीच इस जंग में अब स्कूल के छात्र के साथ-साथ स्कूल प्रबंधन बेबस लग रहा है. क्योंकि प्रशासनिक महकमे को अलगम फैक्ट्री की मनमानी की खबर नहीं.. स्कूल के बदहाली की खबर नहीं.. बच्चों के स्वास्थ्य की चिंता नहीं.
सालों से स्कूल के बगल में हवा में जहर घोल रही अलगम फैक्ट्री चालू है. तमाम शिकायतों के बावजूद कोई पहल नहीं हुई. अब तो स्कूल की बेबसी इस हद तक हो गई है कि यहां से स्कूल हटाने की मांग होने लगी है.